उज्जैन के 10 धार्मिक स्थल, जानिए

एमपी में महाकाल की नगरी उज्जैन में प्रमुख 10 पर्यटन स्थल। 
 
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Top 10 places to visit in ujjain: सप्तपुरियों में प्राचीन नगरी उज्जैन का नाम भी शमिल है। यह सभी तीर्थ क्षेत्रों में महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि यहा पर महाकाल ज्योतिर्लिंग सहित शक्तिपीठ, मंगलनाथ, पवित्र श्मशान, वनक्षेत्र, ऊपर क्षेत्र, नगरकोट की रानी, चक्रतीर्थ, 84 महादेव, 24 खबा माता जी, चामुडा देवी स्थित है। यही पर क्षिप्रा नदी में अमृत की बूंदे गिरी इसीलिए यहां पर सिंहस्थ कुंभ मेले का आयोजन होता है। 10 सर्वश्रेष्ठ स्थान के दर्शन जरूर करें।

1. माता हरसिद्ध: कहते हैं कि हरसिद्धि का मंदिर वहां स्थित है जहां सती के शरीर का अंश अर्थात हाथ की कोहनी आकर गिर गई थी। अतः इस स्थल को भी शक्तिपीठ के अंतर्गत माना जाता है। इस देवी मंदिर का पुराणों में भी वर्णन मिलता है।

2. गढ़कालिका : पुराणों में उल्लेख मिलता है कि उज्जैन में शिप्रा नदी के तट के पास स्थित भैरव पर्वत पर मां भगवती सती केओष्ठ गिरे थे। इसी स्थान पर गढ़काली का मंदिर है। तात्रिकों की देवी कालिका के इस चमत्कारिक ममंदिर की प्राचीनता के विषय में कोई नहीं जानता, फिर भी माना जाता है कि इसकी स्थापना महाभारतकाल में हुई थी, लेकिन मूर्ति सतयुग के काल की है। उज्जैन कई सिद्धों और भगवानों की तपोभूमि रहा है। यहा पर गढ़कालिका क्षेत्र में गुरु गोरखनाथ के गुरु मत्स्येन्द्रनाथ (मछंदरनाथ) का सिद्ध समाधि स्थल है।

3. काल भैरव : उज्जैन में भैरवगढ़ में साक्षात भेवरनाथ विराजमान है। यहा भैरवनाथ की मूर्ति मदिरापान करती है। ऐसा मंदिर विश्व में कोई दूसरा नहीं। काल भैरव का यह मंदिर लगभग छह हजार साल पुराना माना जाता है।

4. चिंतामन गणेश : महाकालेश्वर मंदिर से करीब 6 किलोमीटर दूर ग्राम जवास्या में भगवान गणेश जी का प्राचीनतम मंदिर स्थित है। गर्भगृह में प्रवेश करते ही गौरीसुत गणेश की तीन प्रतिमाए दिखाई देती है। यहा पार्वतीनदन तीन रूपों में विराजमान है। पहला चिंतामण, दूसरा इच्छामन और तीसरा सिद्धिविनायक।

5. भर्तृहरि गुफा: भरथरी या भर्तृहरि गुफा में विक्रमादित्य के भाई राजा भर्तृहरि ने तपस्या की थी। गुफा राजा भर्तृहरि के भतीजे गोपीचन्द की है।

6. मोक्षदायिनी क्षिपा नदी तट: मोक्षदापिनी जिया के तट पर स्थित पोराणिक काल के कई सिद्ध क्षेत्र है। कुभ के चार स्थानों में से एक चिया नदी ही यह स्थान है जहा अमृत कलश से एक बूद अमृत छलक कर हा गिरा था। इसके दर्शन मात्र से ही मोक्ष की प्राप्ति होती है।

7. पांच पवित्र बरगदों में से एक सिद्धवट उज्जैन में सिद्धवट को चार प्रमुख प्राचीन और पवित्र वटों में से एक माना जाता है। सिद्धवट को शक्तिभेद तीर्थ के नाम से जाना जाता है। तीर्थदीपिका में पांच वटवृक्षों का वर्णिन मिलता है। स्कंद पुराण अनुसार पार्वती माता द्वारा लगाए गए इस वट की शिव के रूप में पूजा होती है। इसी जगह पर पिंडदान तर्पण आदि किया जाता हैं। गया के बाद यह पिंडदान का प्रमुख क्षेत्र भी है।

8. श्रीराम, हनुमान और कृष्ण से जुड़े स्थल: पुराणों के अनुसार महाकाल मंदिर और गढ़कालिका की गाथा हनुमानजी से जुड़ी है। श्रुतिकथा के अनुसार रुद्रसागर नामक स्थान पर प्रभु श्रीराम के चरण पड़े थे। रामघाट की कथा भी इसी से जुड़ी है।

9. सांदीपनि आश्रम : यहां अंकपात क्षेत्र में स्थित इस आश्रम में भगवान श्रीकृष्ण-सुदामा और बलरामजी ने अपने गुरु श्री सांदीपनि ऋषि के सान्निध्य में रहकर गुरुकुल परंपरानुसार विद्याध्ययन कर 14 विद्याएं तथा 64 कलाएं सीखी थीं। यहां श्रीकृष्ण 64 दिन रहे थे और यहां के वन क्षेत्रों से लकड़ियां एकत्रित करने जाते थे। शिक्षा पूर्ण करने के बाद वे अपने गुरु के पुत्र की खोज में चले गए थे और बाद मैं पुनः गुरु के पुत्र को लेकर उज्जैन पधारे थे।

10. श्री मंगलनाथ मंदिर: मत्स्य पुराण में मंगल ग्रह को भूमि-पुत्र कहा गया है। पौराणिक मान्यता भी यही है कि मंगल ग्रह की जन्मभूमि भी यहीं है। मंगल ग्रह की शांति, शिव कृपा, ऋणमुक्ति तथा धन प्राप्ति हेतु श्री मंगलनाथजी की प्रायः उपासना की जाती है। यहां पर भात-पूजा तथा रुद्राभिषेक करने का विशेष महत्व है। ज्योतिष एवं खगोल विज्ञान के दृष्टिकोण से यह स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण है।

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