शहडोल के जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक का मामला
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शहडोल। सरकारें चाहे कितना ही भ्रष्टाचार मुक्त शासन देने का दंभ भरें। लेकिन, जब कार्यालय प्रमुख ही अपने कार्यालय में बैठे भ्रष्टाचार के आरोपियों को संरक्षण देने पर आमादा हो जाएं। तो भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन, केवल खोखला दावा ही सिद्ध होता है। ऐसी ही बानगी, जिला सहकारी केंद्रीय बैंक शहडोल में देखने को मिल रही है। जहां उपयंत्री के पद पर पदस्थ के. के. पयासी के विरुद्ध कई शिकायतों के बाद भी सहकारी बैंक के सीईओ संतोष यादव उन पर कोई कार्रवाई करने से बचते नजर आ रहे हैं।
पूर्व चेयरमैन ने की थी शिकायत
जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक के पूर्व चेयरमैन वीरेश सिंह रिंकू ने लगभग तीन वर्ष पूर्व विभाग के उक्त कर्मचारी के विरुद्ध भ्रष्टाचार और गंभीर वित्तीय अनियमितताओं से संबंधित शिकायत संयुक्त संचालक सहकारिता शहडोल से की थी। अपने शिकायती पत्र में उन्होंने, उपयंत्री पयासी के सेवाकाल में अर्जित संपत्तियों के पुष्ट दस्तावेज भी प्रस्तुत किए थे। किंतु तीन वर्ष की लंबी समयावधि बीत जाने के बावजूद भी, शिकायत में पत्राचार के अलावा शिकायतकर्ता को कुछ भी हासिल नहीं हुआ।
उक्त बैंक के जिला प्रबंधक संतोष यादव के विशेष स्नेह प्राप्त हासिल के के पयासी का विभाग में मूल पद तो उपयंत्री का है। लेकिन जिला प्रबंधक यादव ने उन्हें प्रबंधक का कार्यभार सौंप रखा है। वरिष्ठ कार्यालयों ने इनके विरुद्ध जांच करने को लेकर दर्जनों पत्र लिखा है। लेकिन, कार्रवाई मानो आज तक मूर्त रूप न ले सकी है। विचारणीय है, इस शिकायत को लेकर जिम्मेदार साहब खुद का पलड़ा झाड़ते और अपनी सफाई मात्रा से यह पूरा मामला ठंडे बस्ते में कैद कर रखे हुए हैं।
इनका कहना है...
आप किस पत्र की बात कर रहे हैं। वह तो मैं कार्यालय जा कर ही बता पाऊंगा। श्री पयासी के विरुद्ध जांच प्रचलन में है।
संतोष यादव, जिला प्रबंधक
जिला सह. कें. मर्या. बैंक, शहडोल।