सिक्कों के लालच में मौत: रीवा के बुजुर्ग की आत्महत्या और साइबर ठगी की दर्दनाक पटकथा"
रीवा की सुबह कुछ अलग थी। आम दिनों की तरह चाय की चुस्कियों और अखबार की सुर्खियों में खोए लोगों को अचानक एक खबर ने झकझोर दिया.
Sat, 5 Jul 2025

रीवा के सिटी कोतवाली थाना क्षेत्र में एक 65 वर्षीय बुजुर्ग ने खुद को अपनी लाइसेंसी बंदूक से गोली मार ली थी।
यह एक सामान्य आत्महत्या नहीं थी। जब पुलिस मौके पर पहुंची, तो दीवारों पर खामोशी थी लेकिन कमरे में बिखरी जिंदगी की टूटी-कटी कहानियाँ कुछ और कह रही थीं। बुजुर्ग की आंखें अब बंद थीं, लेकिन उनकी तकलीफ दीवारों पर जैसे दर्ज हो चुकी थी।
पुराने सिक्कों का जाल और एक बुजुर्ग की टूटती उम्मीद
कुछ दिनों पहले, उन्हें एक कॉल आया था — बेहद विनम्र और भरोसेमंद आवाज में कहा गया, “आपके पास पुराने सिक्के और नोट हैं? आजकल इनकी बहुत कीमत मिलती है। लाखों में।”
सालों पहले जमा किए गए पुराने नोट और सिक्के जो उनके लिए बस यादें थे, अब अचानक "कीमती" हो गए थे।
जैसे-जैसे बातचीत आगे बढ़ी, उनका भरोसा भी बढ़ता गया। उनसे प्रोसेसिंग चार्ज, जीएसटी, कागजों के लिए पैसे मांगे गए। हर बार थोड़ा-थोड़ा... और फिर ज़्यादा।
वे देते गए — बैंक से पैसा निकाला, दोस्तों से उधारी ली और उम्मीद थी कि जल्द बड़ी रकम मिलेगी।
लेकिन वह दिन कभी नहीं आया।
मानसिक शोषण और एकांत की खामोशी
ठगी यहीं खत्म नहीं हुई। जब पैसे खत्म हो गए, तब शुरू हुआ असली शोषण। लगातार कॉल्स, धमकियाँ, “अगर पैसे नहीं दिए तो पुलिस केस हो जाएगा”, “आपने डील तोड़ी है, जेल जाना पड़ेगा।”
बुजुर्ग, जो पहले से अकेलेपन और उम्र की थकान से जूझ रहे थे, अब हर दिन मानसिक दबाव में जी रहे थे। उनके चेहरे की झुर्रियों में अब चिंता की रेखाएँ और गहरी हो चुकी थीं।
एक ट्रिगर और ताज़ा मौत की गूंज
फिर एक शाम उन्होंने चाय पी और नाश्ता किया, पुरानी अलमारी से बंदूक निकाली, और खुद को गोली मार ली।
शायद उन्होंने सोचा — ये आखिरी रास्ता है।
एसपी विवेक सिंह का बड़ा बयान: 'यह आत्महत्या नहीं, साजिश है'
रीवा के पुलिस अधीक्षक विवेक सिंह का कहना है कि यह आत्महत्या केवल एक मानसिक कमजोरी का मामला नहीं है। यह एक सुनियोजित साइबर ठगी है।
“पुराने सिक्कों के बहाने ठगों ने बुजुर्ग को फंसाया, उन्हें आर्थिक नुकसान पहुंचाया और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया। परिजनों के बयान, मोबाइल कॉल रिकॉर्ड्स और लेन-देन की जांच की जा रही है। साइबर सेल को सक्रिय किया गया है।”
सवाल जो अब उठने जरूरी हैं
क्या बुजुर्गों के लिए समाज में कोई साइबर सुरक्षा कवच नहीं?
क्या सरकार और पुलिस अब जागेगी जब जानें जाने लगी हैं?
कितने और ऐसे 'सिक्कों के लालच' में लोग जान गंवाएंगे?
अंत नहीं... अलार्म है ये
रीवा की यह कहानी एक व्यक्ति की नहीं है, ये चेतावनी है उन सभी के लिए जो साइबर ठगों के नए-नए जाल से अंजान हैं।
यह मौत सिर्फ एक ट्रिगर दबाने की कहानी नहीं, यह उस तंत्र की असफलता है जो कमजोर, अकेले और बुजुर्ग नागरिकों को सुरक्षा देने में चूक गया।
यह कहानी खत्म नहीं हुई — यह अब एक सामाजिक सवाल बन चुकी है।
जांच जारी है... लेकिन क्या जवाब मिलेगा? या फिर अगली खबर फिर किसी बुजुर्ग की 'खुदकुशी' की होगी?