शासकीय राशि में गड़बड़झाला: प्रमाणित भ्रष्टाचार बाद भी सचिव की मौज, वसूली और निलंबन कार्यवाई अब तक नहीं?

शहडोल ग्रामीण क्षेत्रों को विकास की मुख्य धारा से जोड़ने पंचायती राज व्यवस्था बनाई गई।
 
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विनय शुक्ला, जिसके तहत ग्रामीण इलाके मूलभूत सुख सुविधाओं से लैस हो सकें। बावजूद इसके इतर, सरकार की मंशा के विपरीत व्यवस्था के जिम्मेदार व्यवस्था को कैश कराते नजर आ रहे हैं। जिले भर के अधिकांश ऐसी पंचायतें हैं, जहां भ्रष्टाचार अपने चरम पर है और भ्रष्टाचारी जांच के आंच से कोसों दूर हैं। हाल ही में एक ऐसा ताजा मामला सामने आया है, जहां ग्राम पंचायत में पदस्थ सचिव पर गंभीर आरोप लगाते हुए जनपद पंचायत जयसिंहनगर की अध्यक्ष मालती सिंह ने मामले में जांच कराते हुए अनुशासनात्मक कार्यवाई किए जाने की मांग की है।

दरअसल मामला जनपद पंचायत जयसिंहनगर अंतर्गत ग्राम पंचायत रेउसा का है। जहां पदस्थ सचिव सुरेश यादव पर पंचायत दर्पण एवं ई ग्राम स्वराज पोर्टल से एक वर्ष के अंदर लगभग 70 लाख रुपए आहरित किए जाने का आरोप अध्यक्ष ने लगाया है। 19 फरवरी को संबंधित मामले की शिकायत कलेक्टर से की गई है। जिसमें अध्यक्ष ने बताया है कि क्षेत्र भ्रमण के दौरान उक्त पंचायत में दो निर्माण कार्य चल रहे हैं। उन्होंने यह भी उल्लेखित किया है कि संबंधित मामले के लिखित एवं मौखिक निर्देश दिए जाने के बावजूद भी जनपद पंचायत के सीईओ ने अब तक न तो कोई जांच कराई और न ही संबंधित मामले में कोई कार्यवाई की है।

पूर्व में हुए जांच में भी दोषी मिला सचिव
परिणाम स्वरूप कलेक्टर से शिकायत करते हुए ग्राम पंचायत रेउसा के सरपंच/सचिव के विरूद्ध राशि आहरण की जांच टीम गठित कर कराए जाने की मांग को गई है। शिकायत पत्र में पांच बिन्दुओं का उल्लेख करते हुए अध्यक्ष ने एक सप्ताह के अंदर जांच कराने एवं दोषी सरपंच/सचिव के प्रति अनुशासनात्मक कार्यवाई प्रस्तावित किए जाने की मांग रखी है। उक्त शिकायत पत्र के साथ पूर्व का जांच प्रतिवेदन भी संलग्न किया गया है। जिसमें सचिव सुरेश के ग्राम पंचायत मोहनी में रहते हुए भ्रष्टाचारिता से जुड़े सात बिन्दु शामिल हैं। मामले की जांच करते हुए जनपद पंचायत जयसिंहनगर के अतिरिक्त कार्यक्रम अधिकारी मनोज कुमार मिश्रा ने कूटचरित दस्तावेज तैयार कर शासकीय राशि का प्रभक्षण किए जाने का दोषी उक्त सचिव को माना है एवं मध्यप्रदेश पंचायत एवं ग्राम स्वराज अधिनियम 1993 की धारा 92 के तहत 62410 रुपए वसूली, निलंबन एवं दंडात्मक कार्यवाई प्रस्तावित है।

फर्जी बिलों में जमकर किया भुगतान
ग्राम पंचायत मोहनी में पदस्थापना दौरान सचिव सुरेश को त्रिस्तरीय पंचायती राज स्थानीय निर्वाचन 2022 में व्यवधान उत्पन्न होने की शिकायत के आधार पर जनपद पंचायत जयसिंहनगर में संलग्न किया गया है। इस दौरान भी उन्होंने ग्राम पंचायत खाते से फर्जी बिल लगाकर आहरण किया था। विवेचना में पाया गया कि, उन्होंने मतदान के दौरान मेसर्स महाकाल ट्रेडर्स जयसिंहनगर को 20 हजार रुपए एवं 23400 रुपए टेंट कार्य के लिए भुगतान किया है। अनुपात/आवश्यकता से अधिक कार्य दिखाकर फर्जी भुगतान किया जाना पाया गया। यह भी पाया गया कि, मतदान के दौरान ग्राम पंचायत में टेंट का कार्य स्थानीय दादू टेंट हाउस में किया था। जिसका वास्तविक भुगतान 6500 रुपए सचिव ने नहीं किया और बिना कार्य किए हुए ही मेसर्स महाकाल ट्रेडर्स फर्म को फर्जी तरीके से भुगतान किया, जो वित्तीय अनियमितता के अपराधिक श्रेणी का माना गया है।

फर्जी तिथि दिखाकर किया हैण्ड ओवर
इसी दौरान कैलाश फोटोकापी एवं स्टेशनरी को 2200 रुपए का भुगतान किया गया। जिसमें सरपंच के स्थान पर प्रशासक का सत्यापन एवं पारित भुगतान आदेशकर्ता के रूप में हस्ताक्षर व पदमुद्रा सील दर्ज नहीं है। इसके साथ ही उक्त बिल में फोटोकापी संख्या एवं व्यय की गई स्टेशनरी का भी विवरण दर्ज नहीं है। वहीं रोहणी प्रसाद तिवारी स्टेशनरी एवं फोटोकापी सेंटर (देवरा रोड, शहडोल) को 3500, महाराजा फोटोकापी सेंटर एवं डिजिटल स्टूडियो को कुल 7650 एवं शुक्ला फोटोकापी एवं स्टेशनरी जयसिंहनगर को 5660 रुपए का भुगतान स्टेशनरी सामग्री खरीदी के भुगतान के रूप में मनमानी तरीके से दी गई है। इतना ही नहीं ग्राम पंचायत मोहनी से रेउसा स्थानान्तरित हो जाने के पश्चात भी फर्जी तिथि दिखाकर बंद पड़ी नल जल योजना को सचिव सुरेश ने हैण्ड ओवर लिया। फर्जी तथ्यों को छुपाने उक्त सचिव ने प्रभार अभिलेख भी नहीं सौंपा। निरीक्षण में नल जल योजना बंद पाई गई।

नियम विरुद्ध किया मोबलाईजर भर्ती
ग्राम पंचायत मोहनी में पेसा मोबलाईजर की फर्जी नियुक्ति भी की गई है। उक्त व्यय के देयकों को चार्टर एकाउटेंट एवं लोकल आडिट फंड के आडिटरों ने भी अपने दायित्वों का भली भांति निर्वाहन नहीं किया और ग्राम पंचायत में की गई अनियमितता एवं लापरवाही संलित होकर संगठित रूप से शासकीय राशि का अपव्यय करने में सहयोगी रहे हैं। यह भी पाया गया कि उक्त सचिव ने अधिकारों का दुरूपयोग करते हुए मध्यप्रदेश भंडार क्रय नियम का पालन किए बगैर मनमाने रूप से टेंट सहित फोटोकापी व स्टेशनरी का आवश्यकता से अधिक अनुपातहीन फर्जी क्रय दिखाकर शासकीय राशि प्रभक्षण किया है जो वसूली योग्य माना है।

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