महाशिवरात्रि का त्यौहार किस तरह मनाना चाहिए?

कैसे मनाएं महाशिवरात्रि का त्यौहार 2024 .
 
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Mahashivratri 2024: महाशिवरात्रि हिंदू धर्म का सबसे बड़ा त्योहार माना जाता है। इस दिन भगज्ञान शिव प्रकट हुए थे। इसे शिवजी के जन्मोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन को शिव पार्वती के विवाह की वर्षगांठ के तौर पर भी मनाया जाता है। आओ जानते हैं कि किस तरह महा शिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है।

शिवजी की पूजा:-

पूजन के 16 उपचार होते हैं- जैसे 1. पांच उपचार, 2. दस उपचार, 3. सोलह उपचार। आप जिस भी उपचार के माध्यम से पूजा करना चाहते हैं करें।

1. पांच उपचार : गंध, पुष्प, धूप, दीप और नेवैद्य।

2. दस उपचार : पाद्य, अर्घ्य, आचमन, स्नान, वस्त्र निवेदन, गंध, पुष्प, धूप, दीप और नेवैद्य।

3. सोलह उपचार: पाद्य, अर्घ्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, आभूषण, गंध, पुष्प, धूप, दीप, नेवैद्य, आचमन, ताम्बूल, स्तवपाठ, तर्पण और नमस्कार। पूजन के अंत में सांगता सिद्धि के लिए दक्षिणा भी चढ़ाना चाहिए।

कैसे मनाएं महाशिवरात्रि- mahashivratri kaise manaye?

इस दिन महिलाएं व्रत रखकर पूजा करती हैं।

इस दिन शिवलिंग पर सफेद आंकड़े के फूल और भांग, धतूरा चढ़ाएं।

पत्तों में बिल्वपत्र, शमी पत्र, अपामार्ग के पत्ते अर्पित करें।

इस दिन कई लोग रुद्राभिषेक करके भी भगवान शिव को प्रसन्न करते हैं।

इस दिन पंचामृत अभिषेक भी कर सकते हैं।

इस दिन कई लोग ठंडाई का तो कुछ लोग भांग का सेवन करते हैं।

• इस दिन सभी लोग शिव मंदिर में जाकर शिवजी की पूजा करते हैं।

कैसे करे शिवजी की पूजा 

1. महाशिवरात्रि के दिन प्रातःकाल स्नानादि से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प लें।

2. उसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति स्थापित कर उनका जलाभिषेक करें।

3. फिर शिवलिंग पर दूध, फूल, धतूरा आदि चढ़ाएं।

4. मंत्रोच्चार सहित शिव को सुपारी, पंच अमृत, नारियल एवं बेल की पत्तियां चढ़ाएं।

5. माता पार्वती जी को सोलह श्रृंगार की चीजें चढ़ाएं।

6. इसके बाद उनके समक्ष धूप, तिल के तेल का दीप और अगरबत्ती जलाएं।

7. इसके बाद ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करें।

8. पूजा के अंत में शिव चालीसा और शिव आरती का पाठ करें।

9. पूजा के बाद आरती और इसके बाद ही प्रसाद का वितरण करें।

10. शिव पूजा के बाद महाशिवरात्रि व्रत की कथा सुननी आवश्यक है।

11. व्रत करने वाले को दिन में एक बार भोजन करना चाहिए। 12. दिन में दो बार (सुबह और सायं) भगवान शिव की प्रार्थना करें।

13. संध्याकाल में पूजा समाप्ति के बाद व्रत खोलें और सामान्य भोजन करें।

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