MP के गुना में एक वर्ष पहले चुका दिया पूरा कर्ज, दोबारा कर्ज लेने गई तो बैंक ने बताया डिफॉल्टर, जानिए पूरा मामला

शहर के एक निजी बैंक से लोन लेना महिला को भारी पड़ गया। पूरी किश्तें समय पर चुकाने के बाद जब महिला को जब दोबारा लोन की जरूरत पड़ी तो बैंक ने उसे पुराना कर्जदार बता दिया।
 
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जब जांच की गई तो पता चला कि महिला ने पुराने लोन की जो किश्तें चुकायीं, वो किसी अन्य के खाते में जमा कर दी गईं। सारी किश्तें समय पर देने के बाद भी महिला को बैंक के चक्कर काटने पड़ रहे हैं।

दरअसल, स्थानीय बूढ़े बालाजी इलाके की रहने वाली प्रभा चंदेल आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के रुप में कार्यरत हैं। उन्होंने मार्च 2021एचडीएफसी बैंक की नानाखेड़ी स्थित शाखा से 30 हजार रुपये का लोन लिया था। उस लोन को उन्हे कुल 24 किश्तों में चुकाना था, जिसके लिए उन्हें प्रत्येक माह 1,613 रुपये की किश्त देना थी। उन्होंने सभी किश्तें बैंक में समय पर जमा करायीं। लोन जल्दी चुकता हो जाए, इसलिए उन्होंने अंतिम तीन किश्तें एक साथ 2 फरवरी 2023 को बैंक शाखा में जमा करा दी थीं। तीन किश्तों के 4, 744 रुपये की राशि उन्होंने एक साथ जमा कराई थी, जिसकी रसीद भी बैंक शाखा द्वारा उन्हें दी गई थी। इसके बाद वे अपने आप को ऋण मुक्त समझकर चल रही थीं।

इसी बीच अभी हाल ही में उनहें पैसों की जरुरत पड़ी, तो उन्होंने वापस एचडीएफसी बैंक की नानाखेड़ी शाखा में पहुंचकर ऋण लेने के लिए संपर्क किया। तब मालूम पड़ा कि वे बैंक की पहले से ही ऋणी हैं और इसीलिए उन्हें नया लोन नहीं दिया जा सकता। यह सुनकर हैरान हुई प्रभा चंदेल ने अंतिम तीन किश्तें एक साथ जमा करने और ऋण मुक्त हो जाने की बात कही। जब जांच की गयी, तो मालूम पड़ा कि बैंक शाखा द्वारा उनके द्वारा 2 फरवरी 2023 को जमा कराए गए फायनल अमाउंट की 4, 744 रुपये की राशि किसी अन्य उपभोक्ता के बैंक खाते में जमाकर दी गयी है। पूरे मामले में हैरत की बात यह है कि इस पूरे एक साल में बैंक ने नोटिस देकर उन्हें ऋण राशि जमा करने तक को नहीं कहा। इसका परिणाम यह हुआ कि ऋण चुकता कर देने के बाद भी वे खुद भी अभी भी बैंक की निगाह में ऋणी बनी हुई हैं।

प्रभा ने बताया कि इस वजह से ना केवल उन्हें ऋण नहीं मिल पा रहा है, बल्कि उनका सिविल स्कोर भी खराब हो रहा है। यही नहीं उन्हें कोई अन्य बैंक भी ऋण नहीं दे रहा है, लेकिन इसके बाद भी फिलहाल तक उन्हें बैंक शाखा की निगाह में ऋणमुक्त हाने के लिए जबरिया चक्कर काटने पड़ रहे हैं। फिलहाल तक उनकी कोई सुनवायी नहीं हो पाई है। बैंक शाखा से हुई गलती का खामियाजा बैंक की ग्राहक को भुगतना पड़ रहा है।

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