भारतीय न्याय संहिता 1 जुलाई से बदल जाएंगी पुलिस की धाराएं, कमिश्नरी व्यवस्था में भी दिखेगा BNS का असर

देशभर में 1 जुलाई से पुलिस की आपराधिक कार्रवाई से लेकर न्याय व्यवस्था से जुड़े कानून में बदलाव होने जा रहा है। 
 
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नई व्यवस्था में सिर्फ धाराएं ही नहीं बदली हैं, बल्कि सजा और जुर्माने के प्रावधान में भी बदलाव किया गया है। आने वाले समय में लोगों की जुबान पर रटने वाली 302 हत्या अब 103 (1), ठगी या धोखाधड़ी 420 अब 118(4), चोरी 379 अब 303 (2) व दुष्कर्म 376 अब आईपीसी 64 बीएनएस कहलाएंगी। भारतीय दंड संहिता (IPAC) की जगह भारतीय न्याय संहिता (BNS), क्रिमिनल प्रोसीजर कोड (CRPC) की जगह भारतीय नागरिक संहिता (BNSS) और एविंडेंस एक्ट की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम लागू होगा। इसकी कवायद भोपाल पुलिस कमिश्नरी में नजर आने लगी है। गुरुवार से पुलिस कमिश्नरी में एक तरह के नए कानून को लेकर ट्रायल शुरू हो गया है। शुरुआत पुलिस अधिकारियों को रोजाना के अपराध की जानकारी भेजी जाने वाली डेली रुटीन क्राइम रिपोर्ट से की गई है। इसमें IPC के साथ BNS के नए कानून की धारा लगाकर भेजी गई है, जिससे यह काम आसानी से 1 जुलाई से रूटीन में आ जाए।

*16 दशक के बाद बड़े बदलाव*
गौरतलब है कि 1860 भारतीय दंड संहिता में सरकार ने 16 दशक के बाद 2023 में काफी बदलाव किए हैं। इसको लेकर भोपाल पुलिस के साथ प्रदेश में जिला स्तर पर पुलिसकर्मियों को लगातार प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

सीसीटीएनएस में 23 फंक्शनल मॉडिफिकेशन 30 जून की आधी रात को जैसे ही 12 बजेंगे, वैसे ही IPC के तहत अंग्रेजों द्वारा बनाए गए कानून खत्म हो जाएंगे। 1 जुलाई शुरू होते ही इनकी जगह बने 3 नए आपराधिक कानून लागू हो जाएंगे।

इनमें भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) 2023 लागू होंगे। चूंकि नए आपराधिक कानूनों में जांच, ट्रायल और अदालती कार्यवाहियों में तकनीक के इस्तेमाल पर खासा जोर दिया गया है, इसलिए पुलिस ने ऑनलाइन FIR के लिए एनसीआरबी ने मौजूदा क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क एंड सिस्टम (सीसीटीएनएस) में 23 फंक्शनल मॉडिफिकेशन किए हैं, ताकि नए सिस्टम में भी आसानी से कंप्यूटर से एफआईआर दर्ज होने समेत सीसीटीएनएस संबंधित अन्य तमाम कार्य करने में कोई परेशानी नहीं आए।

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