खुल गई भारत की किस्मत! तेल का खजाना मिला, अब बाहर से मंगाएगा नहीं दूसरे देशों का देगा

कारोबारी साल 2024 में ONGC ने 37 सालों में सबसे अधिक 541 कुएं खोदे, जिसमें 103 खोज कुएं और 438 विकास कुएं शामिल थे. कंपनी ने ₹37,000 करोड़ का अधिकतम कैपिटल एक्सपेंडिचर भी रिकॉर्ड किया.
 
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भारत अंडमान सागर में एक विशाल तेल भंडार की खोज के करीब पहुंच रहा है, जो देश की ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक विकास के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकता है.

केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने हाल ही में द न्यू इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक इंटरव्यू में इस संभावना को लेकर संकेत दिया है. उन्होंने इंटरव्यू में कहा कि अंडमान सागर में 1.84 लाख करोड़ लीटर तक कच्चे तेल का भंडार हो सकता है, जो गुयाना की खोज के बराबर है.

पुरी ने कहा, "हमने कृष्णा-गोदावरी बेसिन के बाद अब अंडमान सागर में भी तेल के पॉजिटिव संकेत पाए हैं. मुझे विश्वास है कि यह खोज भारत की अर्थव्यवस्था को $3.7 ट्रिलियन से $20 ट्रिलियन तक ले जाने में मदद करेगी." गुयाना की तरह, जहां अमेरिकी और चीनी कंपनियों ने समुद्र में विशाल तेल भंडार खोज कर देश की आर्थिक स्थिति बदल दी थी, भारत भी उसी सफलता की ओर बढ़ रहा है

सरकार ने पिछले कुछ सालों में अनछुए समुद्री बेसिनों में तेल और गैस की खोज के लिए नीतिगत सुधार किए हैं और निवेश बढ़ाया है. सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां जैसे ONGC और ऑयल इंडिया लिमिटेड ने अंडमान के गहरे समुद्री इलाके में खुदाई शुरू कर दी है.

कारोबारी साल 2024 में ONGC ने 37 सालों में सबसे अधिक 541 कुएं खोदे, जिसमें 103 खोज कुएं और 438 विकास कुएं शामिल थे. कंपनी ने ₹37,000 करोड़ का अधिकतम कैपिटल एक्सपेंडिचर भी रिकॉर्ड किया

भारत की वर्तमान कच्चे तेल की जरूरतों का लगभग 85% आयात पर निर्भर है, जिससे देश की ऊर्जा सुरक्षा कमजोर होती है. अंडमान सागर में सफल खोज से आयात पर निर्भरता कम होगी और देश की एनर्जी स्वतंत्रता मजबूत होगी. इसके साथ ही, तेल की घरेलू उपलब्धता बढ़ने से पेट्रोल-डीजल की कीमतों में स्थिरता आएगी और आर्थिक विकास को नई गति मिलेगी.

पुरी ने बताया कि गुयाना में तेल खोजने के लिए 43-44 कुएं खोदे गए थे, जिनमें से 41वें कुएं में तेल मिला था. भारत भी इसी तरह की चुनौतियों का सामना कर रहा है, लेकिन उम्मीद है कि जल्द ही सफलता मिलेगी.

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