इंदौर में नदी के बीच बना सुंदर महल, सैकड़ों साल से पानी में शान से खड़ा, कितनी उन्नत थी हमारी तकनीकें
भारत की संस्कृति, कला और प्राकृतिक नजरों के लिए जाना जाता है. जहां पहुंचना दूसरे देश के लोगों का एक सपना होता है, हालांकि आज के समय में हर रोज हजारों की संख्या में विदेशी घूमने के लिए भारत के अलग अलग हिस्सों में आते है. भारत का हर एक राज्य की अपनी एक अलग पहचान और खूबियां है. ऐसा ही एक राज्य मध्यप्रदेश है, जहां के इंदौर में मौजूद बना जल महल काफी लोकप्रिय है. यह खूबसूरत महल अपनी डिजाइन और खूबसूरती के लिए जाना जाता है. तो चलिए आज हम इस जल महल के बारे में जान लेते है.
बिजित करने पहुंचा इंदौर का राइड्स ऑफ राइडर्स ग्रुप
ग्रुप के एडमिन ज्ञानदीप श्रीवास्तव ने कहा कि यह स्थान पर्यटकों के लिए एक खूबसूरत स्थान है. जो इंदौर शहर से केवल 55 किलोमीटर की दूरी पर है. जिसका रास्ता इंदौर बेटमा घाटाबिल्लोद लेबढ़ से होते हुए सादलपर पहुंचता है. जो ठीक फोरलेन हाईवे पर मौजूद है इस राइडर ग्रुप में कुल 40 राइडर्स शामिल थे. उन्होंने क्या किया जगह शांति के लिए एक शानदार जगह है हालांकि या महल बागेड़ी नदी के किनारे हैं.
जल महल की नीव है मजबूती की वजह
दरअसल यह महल पिछले कई वर्षों से नदी के किनारे नदी की वेग को झेल रहा है. लेकिन इसपर कोई असर नहीं पड़ रहा है, आज तक इसकी सुंदरता पर कोई असर नहीं पड़ा है. आसपास के लोगों का कहना है कि इस महल और नदी के पानी का गहरा रिश्ता है. क्योंकि यह महल नदी के किनारे है और आज तक इसकी सुंदरता और उसकी प्रकृति पर अभी तक कोई खरोच नहीं आई है.
अकबर भी कर चुका है विश्राम ?
सदलपुर का यह जल महल 15वीं शताब्दी में बनकर तैयार हुआ था, लेकिन उसे समय यह देखने में अधूरा सा लग रहा था. फिर सन 1500 से लेकर 1511 के बीच में इसे सुल्तान नसरुद्दीन खिलजी ने पूरी तरीके से बनवाया था. इसकी एक स्तंभ पर इस बात को लिखा गया है कि 1589 में जब दक्षिण की ओर बादशाह अकबर जा रहा था, तो वह यहां पर रुक कर विश्राम किया था.