Indore News: इंजीनियरिंग छोड़कर दीक्षा ली, अब तप, त्याग और संयम की राह पर चलेंगे

 
Indore News: इंजीनियरिंग छोड़कर दीक्षा ली, अब तप, त्याग और संयम की राह पर चलेंगे

Indore News: मध्यप्रदेश की औद्योगिक नगरी इंदौर में 21 वर्षीय मोहित शाह ने जैन दीक्षा ली। बता दें, उन्होंने आटोमोबाइल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा जैसी उच्च शिक्षा की उपाधि प्राप्त कर चुके है। दीक्षा के बाद उन्हें कैवल्यरत्न सागर नया नाम मिला है। इस अवसर पर उन्होंने सांसारिक जीवन की वैभव और ऐश्वर्य सहित रोजमर्रा के जीवन में काम आने वाली सभी वस्तुओं का त्याग किया है।

इस अवसर पर आचार्यदेव विश्वरत्न सागर महाराज ने कहा कि जिस प्रफुल्लता और प्रसन्नता के साथ मोहित ने तप, त्याग और संयम की राह को चुना है, वह अभिनंदनीय है। इतने उच्च शिक्षित, सुदर्शना, संस्कारी परिवार के बेटे ने संसार का त्याग कर संयम एवं वैराग्य के मार्ग पर चलने का जो निर्णय लिया है, वह समूचे समाज के लिए प्रेरणा का विषय है,. महोत्सव आयोजन समिति की ओर प्रवीण श्रीश्रीमाल ने दीक्षा महोत्सव की जानकारी देते हुए आचार्यदेव के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की. इस मौके पर आचार्य मतिचंद्र सागर महाराज ने भी संबोधित किया. इस मौके पर पदमलताश्री, सौम्यवंदनाश्री, लक्षितज्ञाश्री, प्रीतिधराश्री, सुधाशनाश्री 25 साधु साध्वी मौजूद रही.

ज्ञात हो, इस घड़ी के साक्षी सैकड़ों की संख्या में मौजूदा लोग बने। बड़ी संख्या में लोग बास्केटबाल में मौजूद रहे। मुख्य संयोजक ललित सी. जैन, प्रभारी प्रीतेश ओस्तवाल एवं दिलसुखराज कटारिया ने बताया कि 21 वर्षीय मोहित गुजरात में रहने वाले हैं। उनके दीक्षा महोत्सव को आयोजित करने का लाभ इंदौर के जैन समाज को मिला। मोहित 21 हजार किलोमीटर का पैदल विहार कर चुके हैं। इस अवसर पर कांतिलाल बम, दिलीप सी. जैन, विजय मेहता, दीपक सुराणा, यशवंत जैन, दीपक जैन टीनू आदि मौजूद थे।

नवरत्न परिवार एवं जैन श्वेतांबर मालवा महासंघ तथा सकल जैन श्रीसंघ की मेजबानी में दीक्षा महोत्सव आयोजित हुआ। आचार्य विश्वरत्न रत्न सागर एवं आचार्य मतिचंद्र सागर सहित साधु-साध्वी भगवंत के सान्निध्य में दीक्षा की विधि संपन्न हुई। सुबह सबसे पहले मोहित ने गृह त्याग की रस्म पूरी की। इसके बाद दीक्षा की आज्ञा गुरु और परिजनों से ली। इस अवसर पर मंत्रोच्चार के बीच समोशरण की परिक्रमा लगाई। इस मौके पर वे खुशी से झूमे तो पंडाल में जय जिनेंद्र का जयघोष गूंजने लगा। इसके बाद सांसारिक वस्त्र का त्याग कर साधु वेश धारण किया।

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