लोकायुक्त की बड़ी कार्रवाई: रीवा में राजस्व निरीक्षक को ₹3,000 रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा

मध्य प्रदेश के रीवा में लोकायुक्त ने राजस्व निरीक्षक रामविश्वास को सीमांकन के नाम पर ₹3,000 रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया। भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज, आगे की जांच जारी।
 
Rewa
भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई को लगातार तेज करते हुए, लोकायुक्त टीम ने राजस्व निरीक्षक रामविश्वास कोल को सीमांकन के नाम पर ₹3,000 रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया है। इस गंभीर मामले ने एक बार फिर सरकारी तंत्र में भ्रष्टाचार की जड़ें उजागर कर दी हैं। 
घटना 17 दिसंबर 2025 को रीवा जिले के शाहपुर सर्किल में हुई। आरोप है कि राजस्व निरीक्षक कोल ने ग्राम बीड़ा (सेमरिया) के एक नागरिक इंद्रमणि प्रसाद शुक्ला से जमीन का सीमांकन कराने के लिए रिश्वत की मांग की। शिकायतकर्ता ने लोकायुक्त कार्यालय में 16 दिसंबर को यह शिकायत दर्ज कराई कि निरीक्षक ने कार्य के एवज में पहले ₹5,000 रिश्वत की मांग की थी जिसमें उसने पहले ही ₹2,000 रुपये पहले दे दिए थे। 
लाभार्थी ने बताया कि जब उसने बाकी पैसे का भुगतान करने के लिए राजस्व निरीक्षक से संपर्क किया, तो लोकायुक्त की टीम ने जाल बिछाकर कार्रवाई शुरू कर दी। वित्तीय लेन-देन होते ही लोकायुक्त टीम ने निरीक्षक को रंगे हाथों पकड़ लिया। गिरफ्तार किए गए निरीक्षक के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 (संशोधन 2018) की धारा 7 के तहत मामला दर्ज हुआ। 
घटना का पूरा विवरण
शिकायतकर्ता इंद्रमणि प्रसाद ने लोकायुक्त को बताया कि तहसील सेमरिया में आवेदन देने के बाद निरीक्षक ने जमीन के सीमांकन के लिए पहले ₹5,000 रुपये रिश्वत मांगे थे। पहले मौके पर उसने पहले ही ₹2,000 रुपये दे दिए थे, लेकिन जब निरीक्षक ने दूसरी किश्त के रूप में ₹3,000 और की मांग की, तब लोकायुक्त ने तुरंत कार्रवाई शुरू की। 
भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के अंतर्गत यह एक गंभीर अपराध माना जाता है, क्योंकि सरकारी अधिकारी अपने पद का दुरुपयोग कर आम नागरिकों से अवैध धन ले रहे थे। लोकायुक्त की जाँच में यह पाया गया कि अधिकारी ने अपनी पदाधिकारियों का दुरुपयोग करते हुए सीमांकन की प्रक्रिया को अवरुद्ध करके रिश्वत की मांग की। 
लोकायुक्त की कार्रवाई का महत्व
मध्य प्रदेश में लोकायुक्त की टीम समय-समय पर रिश्वतखोर अधिकारियों की पहचान और गिरफ्तारियां कर रही है। इससे यह संदेश जाता है कि भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई सरकारी नीति का हिस्सा है। पिछले कुछ महीनों में कई अन्य मामलों में भी लोकायुक्त की टीम ने कार्रवाई की है, जिसमें राजस्व कर्मचारियों, पटवारियों और अन्य सरकारी कर्मियों को रिश्वत लेते पकड़ा गया है। 
इन मामलों में कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं:
एक सहायक राजस्व निरीक्षक को भी 2 महीने पहले लोकायुक्त ने रंगे हाथों पकड़ा था। 
रीवा क्षेत्र में अन्य विभागों में भी पटवारियों और सर्वेयरों को रिश्वत लेते गिरफ्तार किया गया। 
इन हालियों की कार्रवाईयों से यह स्पष्ट होता है कि लोकायुक्त भ्रष्टाचार पर लगातार शिकंजा कस रहा है और ऐसे दोषियों को निगरानी में रख रहा है।
भ्रष्टाचार के प्रभाव
भ्रष्टाचार केवल सरकारी मशीनरी को कमजोर नहीं करता बल्कि साथ ही आम लोगों के विश्वास को भी खोखला करता है। जब सरकारी अधिकारी जमीन दर्ज, सीमांकन या अन्य आवश्यक दस्तावेजों के लिए रिश्वत मांगते हैं, तो इससे किसानों, छोटे व्यवसायियों और वंचित नागरिकों को वित्तीय और सामाजिक दबाव का सामना करना पड़ता है।
विशेष रूप से गरीब और साधारण वर्ग के लोग सरकारी सेवाओं का लाभ लेने के लिए जब आर्थिक बोझ उठाने के लिए मजबूर होते हैं, तो उनका भरोसा सिस्टम पर से उठ जाता है। यह भ्रष्टाचार की संस्कृति को और बढ़ावा देता है। लोकायुक्त की कार्रवाई ऐसे बुरे प्रभावों को कम करने में मदद करती है। 
आगे की कानूनी प्रक्रिया
गिरफ्तार राजस्व निरीक्षक कोल को हिरासत में लेकर आगे की कानूनी कार्रवाई शुरू हो गई है। न्याय विभाग और लोकायुक्त की टीम दोनों मिलकर मामले की विस्तृत जांच कर रहे हैं। दोषी पाए जाने पर आरोपी को कड़ी सजा का सामना करना पड़ेगा। स्थानीय पुलिस और लोकायुक्त दोनों ने स्पष्ट कर दिया है कि इस प्रकार की ग़लत कार्रवाइयों के खिलाफ कोई ढील नहीं दी जाएगी।

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