मध्यप्रदेश का नक्शा बदलेगा: 3 नए जिले और 1 नया संभाग बनने की तैयारी

जानें मध्य प्रदेश में प्रशासनिक पुनर्गठन की बड़ी खबर — 3 नए जिले (पिपरिया, सीहोरा, बीना) और 1 नया संभाग (निमाड़) बनने की तैयारी किसलिए और कब तक संभव है। प्रशासनिक बदलाव से जुड़े विस्तृत अपडेट पढ़ें।
 
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मध्यप्रदेश (MP) सरकार राज्य के भौगोलिक और प्रशासनिक ढांचे में बड़े बदलाव की तैयारी में है। अधिकारियों और पुनर्गठन आयोग के प्रस्तावों के अनुसार जल्द ही तीन नए जिले और एक नया संभाग बनने की संभावनाएँ मजबूत हो गई हैं, जो राज्य की प्रशासनिक कार्यप्रणाली और स्थानीय जनता के लिए काफी अहम साबित होंगे। 
राज्य में वर्तमान में 55 जिले और 10 संभाग हैं, लेकिन प्रशासनिक इकाइयों की समीक्षा के बाद यह संख्या बढ़ सकती है। पुनर्गठन आयोग ने विस्तृत सर्वे और अध्ययन के आधार पर सीमांकन रिपोर्ट तैयार की है, जिसे जल्द ही सरकार के समक्ष प्रस्तावित किया जाएगा। 
 क्या है प्रस्ताव?
राज्य प्रशासनिक पुनर्गठन आयोग की रिपोर्ट में यह सुझाव दिया गया है कि:
तीन नए जिला बनाए जाएं:
1. पिपरिया (अब नर्मदापुरम जिले से अलग किया जाएगा)
2. सीहोरा (जबलपुर जिले से अलग)
3. बीना (सागर जिले से अलग)
— इन तीनों तहसीलों को अलग-अलग जिलों के रूप में विकसित करने की रूपरेखा तैयार है ताकि स्थानीय प्रशासनिक सेवाओं का विस्तार हो सके और जनता को बेहतर सुविधाएँ मिलें। 
एक नया संभाग बनाएं:
“निमाड़ संभाग” के रूप में राज्य का 11वां संभाग बनाने का प्रस्ताव है। निमाड़ संभाग में खरगोन, बड़वानी, खंडवा और बुरहानपुर जिले शामिल किए जाने का सुझाव है, ताकि संभागीय स्तर पर राजस्व, कानून-व्यवस्था और प्रशासनिक कार्यों को और सशक्त बनाया जा सके। 
 किसलिए ये बदलाव जरूरी?
प्रशासनिक पुनर्गठन आयोग ने सीमांकन और सुझाव रिपोर्ट में कहा है कि इसके पीछे कई कारण हैं:
जनसंख्या वृद्धि और प्रशासनिक बोझ:
पिछले कुछ वर्षों में प्रदेश की आबादी और प्रशासनिक ज़रूरतों में वृद्धि हुई है, जिससे बड़े जिलों में प्रशासनिक दबाव बढ़ा है। नए जिलों और संभाग के निर्माण से स्थानीय प्रशासनिक मशीनरी अधिक प्रभावी तरीके से काम कर सकेगी। 
दूरी और सेवा पहुंच:
पिपरिया और सीहोरा जैसे इलाकों में जिला मुख्यालय से दूरी अधिक है, जिससे ग्रामीण जनता को सरकारी सेवाओं में कठिनाइयाँ होती हैं। नए जिलों से ये दूरी कम होगी और लोगों को सरकार-सेवाओं का लाभ आसानी से मिलेगा। 
लोकल प्रशासन में दक्षता:
छोटे जिलों का गठन स्थानीय प्रशासन को चुस्त-दुरुस्त बनाएगा। इससे जिले के नागरिकों को राजस्व, सामाजिक कल्याण, पुलिसिंग और न्याय सेवाओं तक आसान पहुँच मिलेगी। 
 स्थानीय प्रतिक्रिया और राजनीतिक प्रतिक्रिया
राज्य में जिलों के पुनर्गठन को लेकर स्थानीय नेताओं, समुदायों और प्रशासनिक अधिकारियों की प्रतिक्रियाएँ अलग-अलग हैं। कुछ जनप्रतिनिधियों ने नए जिलों के गठन का स्वागत किया है, जबकि कुछ ने अपने जिलों के राजनीतिक और सांस्कृतिक संतुलन को ध्यान में रखते हुए इस प्रस्ताव पर संशय व्यक्त किया है। 
जैसे कि सिहोरा के लोगों ने कहा है कि वे वर्षों से जिला बनने की माँग कर रहे हैं, वहीं कुछ सांसदों ने सीमाओं में बदलाव पर विवाद भी उठाया है। 
भोपाल और अन्य तहसीलों में बदलाव
राजधानी भोपाल में भी तहसीलों के पुनर्गठन की योजना है। वर्तमान में भोपाल में सिर्फ तीन तहसीलें हैं — हुजूर, कोलार और बैरसिया। प्रस्ताव के अनुसार पाँच नई तहसीलें पुराना भोपाल, संत हिरदाराम नगर, एमपी नगर, गोविंदपुरा और टीटी नगर बनायी जा सकती हैं, जिससे स्थानीय ज़मीनी प्रशासन सहज होगा। 
⏱️ समय सीमा और आगे क्या होगा?
पुनर्गठन आयोग की रिपोर्ट को सरकार के पास भेजा जाना है और उसके बाद कैबिनेट स्तर पर निर्णय लिया जाएगा। अधिकारियों ने संकेत दिए हैं कि शायद ये बदलाव जनगणना 2026 से पहले लागू कर दिए जाएँ, ताकि नए जिलों-संभागों का डेटा जनगणना में शामिल किया जा सके। 
सियासी जानकारों का मानना है कि नए जिलों के गठन से स्थानीय राजनीति में भी बदलाव आएगा, क्योंकि इससे विधानसभा क्षेत्रों और संसदीय क्षेत्रों की पहचान में नई भूमिका उत्पन्न होगी।

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