MP की कमान अब 'आधी आबादी' के हाथ: 17 जिलों में महिला कलेक्टरों ने गाड़े झंडे!

मध्य प्रदेश में महिला सशक्तिकरण की नई मिसाल! जानें कैसे 17 महिला कलेक्टर और 12 हजार से अधिक महिला सरपंच प्रदेश की तस्वीर बदल रही हैं। पूरी रिपोर्ट यहाँ पढ़ें।

 
Administrative Reforms MP (प्रशासनिक सुधार मध्य प्रदेश) ​MP Districts List with Female Collectors

​भारत का हृदय कहे जाने वाले मध्य प्रदेश में आज सत्ता और प्रशासन की तस्वीर बदल रही है। वह दौर बीत गया जब महिलाओं की भूमिका केवल चारदीवारी तक सीमित थी। आज प्रदेश के 17 जिलों की कमान महिला कलेक्टरों के हाथों में है, तो वहीं 12 हजार से अधिक ग्राम पंचायतों में महिलाएं सरपंच के रूप में ग्रामीण विकास की पटकथा लिख रही हैं। यह न केवल प्रशासनिक दक्षता का प्रमाण है, बल्कि सामाजिक बदलाव की एक ऐसी लहर है जो आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगी।

​प्रशासनिक नेतृत्व: 17 जिलों में महिला कलेक्टरों का 'सुपर विजन'

​मध्य प्रदेश कैडर की महिला आईएएस अधिकारियों ने अपनी कार्यकुशलता और संवेदनशीलता से अपनी एक अलग पहचान बनाई है। वर्तमान में प्रदेश के 17 महत्वपूर्ण जिलों में महिलाएं कलेक्टर (जिला मजिस्ट्रेट) के पद पर तैनात हैं।

​निर्णय लेने की क्षमता: महिला कलेक्टरों ने कानून व्यवस्था बनाए रखने, सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन और आपदा प्रबंधन में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है।

​संवेदनशीलता और सुलभता: जिलों में तैनात महिला अधिकारियों के बारे में यह देखा गया है कि वे आम जनता, विशेषकर महिलाओं और बच्चों की समस्याओं को सुनने में अधिक संवेदनशील होती हैं।

​शिक्षा और स्वास्थ्य पर जोर: इन कलेक्टरों की प्राथमिकता में अक्सर शिक्षा सुधार, कुपोषण का खात्मा और महिला स्वास्थ्य जैसे विषय प्रमुखता से शामिल होते हैं।

​जमीनी लोकतंत्र: 12 हजार सरपंचों का संकल्प

​पंचायती राज व्यवस्था में महिलाओं को मिले 50% आरक्षण का परिणाम आज धरातल पर दिख रहा है। मध्य प्रदेश की 23 हजार से अधिक ग्राम पंचायतों में से 12 हजार से ज्यादा पंचायतों की कमान महिला सरपंचों के हाथ में है।

​स्वच्छता और जल प्रबंधन: महिला सरपंचों ने 'स्वच्छ भारत मिशन' और 'नल-जल योजना' को लागू करने में पुरुषों की तुलना में अधिक सक्रियता दिखाई है।

​शिक्षा का उजियारा: गांव की स्कूलों में शिक्षकों की उपस्थिति और मिड-डे मील की गुणवत्ता की निगरानी अब महिलाएं अधिक मुस्तैदी से कर रही हैं।

​आर्थिक स्वावलंबन: स्व-सहायता समूहों (SHGs) के माध्यम से ग्रामीण महिलाओं को रोजगार से जोड़ने में इन सरपंचों की भूमिका अहम रही है।

​चुनौतियां और 'सरपंच पति' प्रथा पर प्रहार

​यद्यपि आंकड़े सुखद हैं, लेकिन चुनौतियां अभी भी मौजूद हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में 'सरपंच पति' (जहाँ महिला सरपंच के बदले उसका पति कार्य करता है) की प्रथा एक बड़ी बाधा रही है। हालांकि, सरकार की सख्ती और महिलाओं में बढ़ती जागरूकता ने इस प्रथा को काफी हद तक कमजोर किया है। अब महिलाएं खुद दफ्तर जा रही हैं, फाइलों पर हस्ताक्षर कर रही हैं और ब्लॉक मुख्यालयों पर अपनी बात मजबूती से रख रही हैं।

​सरकार की नीतियां और प्रोत्साहन

​मध्य प्रदेश सरकार की लाड़ली लक्ष्मी योजना, लाड़ली बहना योजना और सरकारी नौकरियों में आरक्षण जैसी नीतियों ने महिलाओं के प्रति समाज के नजरिए को बदला है। जब एक बेटी पढ़-लिखकर कलेक्टर बनती है, तो वह पूरे जिले की बेटियों के लिए रोल मॉडल बन जाती है।

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