PSNS यूनिवर्सिटी में एक दिवसीय संगोष्ठी: "प्रास्पेक्टस एंड चैलेंज ऑफ स्किल डेवलपमेंट इन इंडियन इकोनॉमी" विषय पर हुई बात, 450 से अधिक प्रतिभागियों ने लिया भाग

शहडोल जिले के पंडित शंभूनाथ शुक्ला यूनिवर्सिटी में एक दिवसीय राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसका विषय "प्रास्पेक्टस एंड चैलेंज ऑफ स्किल डेवलपमेंट इन इंडियन इकोनॉमी" रहा। उक्त संगोष्ठी में मुख्य अतिथि कुलगुरु प्रो. राजकुमार वर्मा रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर थे।
 
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विनय शुक्ला, शहडोल में कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलगुरू प्रो. रामशंकर ने की। कार्यक्रम में बतौर मुख्यवक्ता प्रो. शैलेन्द्र सिंह भदौरिया इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय जन जातीय विश्वविद्यालय अमरकंटक एवं डॉ. अभिषेक कुमार सिंह यूनिवर्सिटी ऑफ दिल्ली उपस्थित रहे।

मंच पर यूनिवर्सिटी कुलसचिव प्रो. अशीष तिवारी, परिसर प्रभारी प्रो. करुणेश झा उपस्थित थे। कार्यक्रम का शुभारंभ माँ वीणावादनी की आराधना और समर्चना से हुई। अतिथियों को शाल श्रीफल स्मृति चिन्ह से सम्मानित किया गया। सभी का स्वागत करते हुए वाणिज्य विभागाध्यक्ष प्रो. अनिल गुप्ता ने स्वागत उद्बोधन दिया। मुख्यातिथि ने संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए कहा कि, प्रधानमंत्री मोदी ने कौशल विकास को शिक्षा से जोड़ने का विशद और व्यापक प्रयास किया है। जिसके लिए अत्यंत जरूरी विकल्प के रूप में देखते हुए आज नौकरियों को रोजगार में बदलने की जरूरत है। बच्चों को जिस विधा में रुचि है, उसे देखते हुए उस स्किल से जोड़ना और उसके स्वर्णिम भविष्य के लिए जोड़ने का सफल प्रयास करना आज जरूरी है।

यूनिवर्सिटी कुलगुरु ने कहा कि, आज का अवसर महत और महत्वपूर्ण है। आज विशेष दिन है, आज हमारे भारत के सपूत नेता सुभाषचंद्र बोस का जन्म दिन है। जिसे पराक्रम दिवस के रूप में मनाया जाता है और इसके पूर्व 22 जनवरी को हमने भारतीय अस्मिता की पहचान को विश्वपटल पर अंकित किया है। इसी समय में हम स्किल डेवलपमेंट पर संगोष्ठी कर रहे है। मैं सदैव ये कहता हूँ कि, आप सोचिये और एक विचार देते हुए सिद्धांत दीजिये। उस सिद्धान्त पर लोग जाकर कुछ नया कर पाते हैं। इसलिए इस प्रकार की स्किल सीखना जरूरी है और यही आपके विकास सही प्रयोजन है।

दूसरे सत्र को सम्बोधित करते हुए मुख्य वक्ता ने अपने वक्तव्य में कहा कि, स्किल आज के समय का सबसे महत्वपूर्ण तत्व है। पर इस पर काम करना जरूरी है। महाभारत 100 कौरव और पांच पांडवों का मुख्य युध्द था। पर हमें कितने नाम याद हैं हमे सब नाम याद नहीं रहते क्यों? ये इसलिए, जिनमे स्किल थी.. उन्हें याद रखते हैं। क्योंकि उनकी स्किल हमें याद रही और उस स्किल से हम उन्हें पहचानते हैं। उन्होंने विभिन्न स्किल मैनेजमेंट के क्षेत्र और उनसे जुड़ी बातें छात्र छात्राओं से साझा की।

दिल्ली विश्वविद्यालय से पधारे डॉ. सिंह ने स्किल मैनेजमेंट और उसमें आने वाले  चैलेंज की व्यापक बात करते हुए अपने अनुभव जन्य तर्कों को साझा किया और नवीन तकनीकी का उपयोग कर सुधार की बात की। कार्यक्रम में कुल सचिव ने अपने विचार रखते हुए संगोष्ठी की सराहना की। आयोजन का सफल संचालन डॉ. रजनी गौतम ने किया। संचालन समिति में डॉ. प्रज्ञा यादव, डॉ. चंद्रकला अरमोती, डॉ. एच एल मरावी रहे। उक्त संगोष्ठी में कई प्रतिभागियों ने रिसर्च पेपर का वाचन किया। संगोष्ठी में 450 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया।

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