आदेश और निर्देश यहां नहीं है विशेष: 1 वर्ष से ज्यादा समय बीता, अब तक न हट सका शासकीय भूमि पर अवैध कब्जा

शहडोल। जिले में न केवल तहसीलदार के आदेश की अवमानना की जा रही है। बल्कि, प्रदेश के मुख्यमंत्री के निर्देश को भी हवा दी जा रही है।
 
Shahdol news

शासकीय जमीनों में अवैध कब्जा जोरों पर है और ऐसे भूमियों को चिन्हित कर जल्द से जल्द हटाने के आदेश-निर्देश मानो यहां कागजों तक ही सीमित है। जिला मुख्यालय से ही ऐसे एक नहीं बल्कि कई मामले लगातार सामने आते रहे हैं। बहरहाल, हाल ही एक ताजा मामला जिले के बुढ़ार तहसील से सामने आया है।

जहां तहसील अंतर्गत बेम्हौरी हल्का के राजस्व ग्राम गरफंदिया में मुख्यमार्ग से लगी शासकीय भूमि, खसरा नंबर 323, रकबा 0.0450 हेक्टेयर और खसरा नंबर 320, रकबा 0.0490 हेक्टेयर में बीते दो साल से लगातार अवैध कब्जा बढ़ रहा है। जबकि, सरकारी दस्तावेजों में उक्त भूमि 'राजस्व वन' के नाम पर दर्ज है। यहां किए गए अवैध कब्जे के संबंध में तात्कालिक तहसीलदार ने जांच कराई और अवैध कब्जा पाया। जिसके बाद उन्होंने बीते 05 दिसंबर 2022 को बेदखली का आदेश जारी किया।

"राजस्व प्रकरण क्रमांक 0007468/2022-23 (मध्यप्रदेश शासन जरिए पटवारी हल्का बेम्हीरी बनाम अनिल कुमार द्विवेदी पिता स्व. गणेश प्रसाद द्विवेदी)" जिसमें 5000 रूपए अर्थदण्ड लगाते हुए, 1 सप्ताह में अवैध कब्जा हटाने के आदेश दिया। विचारणीय है कि, उक्त आदेश जारी होने के आज लगभग 1 वर्ष से ज्यादा समय बीत जाने के बावजूद भी आदेश पालन नहीं हो सका है। परिणामस्वरूप दिनों-दिन अवैध कब्जा बढ़ाया जा रहा है।

कथित तौर पर आरोपी का यह कहना है कि, मेरा साला और भतीजा, बड़े पद पर हैं, जो सब सम्हाल लेंगे। जिले के राजस्व अधिकारी और विभाग, उसके जेब में हैं। ऐसे बेदखली के आदेश बहुत आते रहते हैं कोई फर्क नहीं पड़ता। आरोपी की यह डींग सही भी हो सकती है। क्योंकि, राजस्व सेवा अभियान, ग्रामीण सेवा अभियान जैसे कई नवाचार प्रशासन ने कर के देख लिए, बाद फिर भी बुढ़ार तहसील कार्यालय बेम्हौरी हल्का क्षेत्र में एक भी शासकीय जमीन का अवैध कब्जा हटाना तो दूर, चिन्हित भी नहीं कर पाया है। जबकि, दस्तावेजों में सैकड़ों शासकीय जमीनें गरफंदिया में हैं। यह अलग बात है कि, भौतिक तौर पर वह अदृश्य मान हैं।

जानकारी अनुसार, गरफंदिया स्थित शासकीय जमीनों में अवैध कब्जा अधिकांशतः उन लोगों के हैं, जिनके पास पर्याप्त निजी जमीनें हैं। ध्यानाकर्षण कराया गया है कि, ग्राम पंचायत क्षेत्र में आबादी के आसपास की शासकीय जमीनें जो सामुदायिक भवन, पुस्तकालय, आंगनबाड़ी भवन, संस्कृतिक मंच, सार्वजनिक शौचालय, जिम, खेल मैदान या मंदिर आदि के उपयोग में आनी चाहिए या आ सकती हैं, उनमें पहले से ही अवैध कब्जा है।

यदि तहसील अंतर्गत बेम्हौरी-गरफंदिया क्षेत्र की शासकीय जमीनों को अवैध कब्जों से मुक्ति दिलाने के लिए, ग्राम स्तर पर भी तेजी लाते हुए बड़ी कार्रवाई को भौतिक रूप से जल्द से जल्द अंजाम दिये जाने की मांग की गई है। बेम्हौरी हल्का की सभी शासकीय जमीनों का सीमांकन आदि भी पूर्ण कराया जाए और यह तय किया जाए कि, इन शासकीय भूमियों में दोबारा कब्जा न हो। क्योंकि, गांव में आबादी बीच शासकीय जमीन न होने से गांव के सार्वजनिक विकास कार्य रुक जाते हैं और आम ग्रामीणों को परेशानियों का सामना भी करना पड़ता है।


इनका कहना है

मै नायब तहसीलदार को मौका एवं दस्तावेज निरीक्षण के लिए पुनः आदेशित करते हुए, आरोपी जनों को अंतिम आदेश देने के लिए कहती हूं।
भावना डहरिया 
(तहसीलदार बुढ़ार)
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