तीस का दम भी पड़ रहा कम: नकाबपोश डकैतों से लेकर हमलावरों की शिनाख्त अब तक नहीं कर सकी पुलिस, काम नहीं आ रहा मुखबिर तंत्र का मंत्र

शहडोल जी हां यह लाईन संभवतः सौ फीसदी फीट है जिले की पुलिस की कार्यशैली को लेकर। विचारणीय है कि, यह वही तंत्र यह जो आए दिन गाहे-बगाहे छोटी-मोटी कार्रवाई को भी बड़ी कार्रवाई बताने का मंत्र फूंकता दिखता है।
 
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Shahdol MP News: वर्तमान परिदृश्य की बात करें, तो स्थित कुछ ऐसी साबित है कि, बड़े मामलों को पर्दाफाश करने में मानो खाकी के बलवानों को पसीने छूट रहे हैं। हालात यह हैं कि, लूट, हत्या, चोरी-डकैती, हत्या का प्रयास जैसे कई मामले आज भी थानों के सफेद पन्नों अंकित मात्र ही सीमित हैं। छुट-पुट मामलों में भी 30 का दम और खतरनाक मुखबिर तंत्र भी बड़े मामलों के खुलासे में फेल नजर आ रहा है।

कई पुराने बड़े और गंभीर वारदातों को अंजाम देने वाले आरोपी आज तलक खुले में सांस ले रहे हैं और न्याय व ठोस कार्रवाई की आस में पीड़ित आस संजोए हुए बैठे हैं। "तारीख पर तारीख-तारीख पर तारीख" यह फेमस डायलॉग जाने किस फिल्म का है, यह याद तो नहीं। लेकिन, पीड़ितों और शिकायतकर्ताओं इस जिले में शायद यही नसीब है। जन चर्चा की मानें तो, यह निश्चित रूप से आला कमान निरंकुशता का ही प्रमाण है। लोगों का कहना है कि, पुलिस इन दिनों अपनी डफ़ली अपना राग आलाप कर रही है। देश भक्ति और जन सेवा तो मानो थाना परिसर की दीवारों व बोर्ड तक ही सुशोभित है और जन सरोकार से मानो नमस्कार है।

जानिए कितनी हुनरमंद है यहां की पुलिस 

जनता की गाढ़ी कमाई यानि कि, टैक्स प्राप्त धन से 500 से 1000 रूपए का ईंधन फूंककर 5-6 लीटर कच्ची शराब तो पकड़ लेती है। हां यह यह बात अलग है कि, गांव-गांव खुलेआम जगजाहिर पैकरी नहीं देख पाती। पुलिस डायरी पर नजर दौड़ाएं तो एक और मजेदार बात सामने आती है कि, जिले भर की थाना पुलिस तकरीबन 5 या 6 लीटर कच्ची शराब पकड़ पाती है। मात्रा में समानता एक बार या दो बार हो तो भी बात गले उतरे। लेकिन, यह समानता लगभग हर रोज देखने मिलती है।

यात्रियों से ओवर लोड और नियम विरुद्ध दौड़ती बस, रेत से ओवर लोड (बिना नंबर तक की) डग्गी, हाईवा और ट्रेलर सहित राखड़ के ओवरलोड बल्कर एवं अवैध या चोरी के कबाड़ भरे वाहन, भले ही नाक के नीचे से अमूमन रोज निकलते हैं। परंतु, मजाल है कि, जिले की पुलिस यह देख पाती है? यह जरूर है कि, दो पहिया वाहन में तीन सवार तो कतई जरा सा भी नहीं छटक पाते! सट्टा एक्ट की छुटपुट दिखावा रूपी कार्रवाई देखने मिलती है। लेकिन, क्षेत्र में चल रहे बड़े-बड़े जुआं फड़ खाकी को नहीं दिखती। इसी कला कुशलता का प्रमाण है कि, जिले भर में अवैध कारोबार चरम पर है और कानून व्यवस्था चौपट।

कमी कहें या फिर नाकामी

ज्ञातव्य हो कि, जिले के विभिन्न थाना क्षेत्रों में कई ऐसी बड़ी वारदातों को अंजाम दिया गया है, जो शायद पुलिस के लिए खुले तौर पर एक बड़ा चैलेंज रहा है। ऐसे मामलों में अगर नजर डाली जाए, तो पुलिस के हाथ अब तक खाली हैं। मुख्यालय स्थित थाना कोतवाली की बात की जाए, तो थाना क्षेत्र अंतर्गत ग्राम कल्याणपुर में बीते कई माह पहले कुछ 8-10 नकाबपोश बदमाशों ने एक घर डकैती की बड़ी वारदात को अंजाम दिया था। इतना ही नहीं, उक्त घर की महिला को बंधक बनाकर बदमाशों ने बेरहमी से पीटा और आगे जान से मारने की धमकी देकर फरार हो गए थे। पुलिस उन आरोपियों को गिरफ्तार तो क्या, अब तक पहचान भी नहीं कर सकी है। शहर का पाॅश इलाका मने जाने वाले पांडवनगर में एक वरिष्ठ पत्रकार पर जानलेवा हमला करने वाले करीब आधा दर्जन नकाबपोश बदमाश भी, अब तक गिरफ्तारी तो दूर पहचान में नहीं आ सके हैं। गौरतलब है कि, इन दोनों ही मामलों में पुलिस को सीसीटीवी फुटेज भी मिला था! बावजूद इसके, आरोपियों की पहचान तक न कर पाना पुलिस कार्यशैली पर निश्चित ही एक बड़ा सवाल है। बता दें कि, ऐसे दर्जनों बड़े मामले जिले भर के तमाम थाना में दर्ज हुए हैं। लेकिन खुलासा फिलहाल एक राज बनकर ही सामने है।

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