रीवा में शीत लहर के बीच बारिश का दौर जारी, जानें मौसम पूर्व अनुमान

Rewa MP News, Rewa Mausam Ki Jankaari:रीवा जिले (Rewa District) में पिछले दो दिनों से हल्की बारिश हो रही है। रीवा जिले भर में 6 जनवरी को 5.1 मिमी औसत वर्षा दर्ज की गई।
 
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Rewa MP News, Rewa Mausam Ki Jankaari: रीवा जिले (Rewa District) में पिछले दो दिनों से हल्की बारिश हो रही है। जानकारी के अनुसार रीवा जिले भर में 6 जनवरी को 5.1 मिमी औसत वर्षा दर्ज की गई। बता दें कि जिले की सभी तहसीलों में वर्षा हो रही है। तहसील हुजूर में 4.2 मिमी, रायपुर कर्चुलियान में 1.5 मिमी, गुढ़ में 3 मिमी, सिरमौर में 8.2 मिमी, त्योंथर में 2 मिमी, मऊगंज में 10.8 मिमी, हनुमना में 6 मिमी, सेमरिया में 5 मिमी, मनगवां में 8 मिमी, जवा में 5 मिमी तथा नईगढ़ी में 2 मिमी वर्षा दर्ज की गई।

इस वर्षा से गेंहू और चने की फसल को अच्छा लाभ होगा। इन फसलों की बढ़वार अच्छी होगी। दलहनी और तिलहनी फसलों को वर्षा से कुछ हानि हो सकती है। सरसों, मसूर, अरहर आदि के फूल झड़ सकते हैं। बारिश के कारण तापमान में गिरावट आई है। इससे फसलों में पाले का भी प्रकोप हो सकता है। वर्षा से सब्जियों की फसल को भी फायदा होगा।

उप संचालक कृषि ने बताया कि रीवा जिले में 10 दिनों से शीत लहर का प्रकोप है। पिछले 48 घंटों से पूरे जिले में रूक-रूक कर हल्की वर्षा हो रही है। यह वर्षा गेंहू की फसल के लिए बहुत लाभदायक है। चने तथा अन्य फसलों को भी इससे फायदा होगा। दलहनी और तिलहनी फसलों को वर्षा से नुकसान हो सकता है। तापमान में गिरावट तथा आसमान पर कोहरा छाने से मौसम में लगातार परिवर्तन हो रहा है। रात का तापमान सामान्य से कम दर्ज किया जा रहा है।

उप संचालक कृषि ने बताया कि रीवा में तापमान में गिरावट से फसलों में शीतलहर के प्रकोप की भी आशंका है। इसे ध्यान में रखते हुए उप संचालक कृषि यूपी बागरी ने किसानों को फसलों को पाले के प्रकोप से बचाने के लिए सलाह दी है। उन्होंने कहा है कि तापमान में गिरावट का सर्वाधिक असर दलहनी, तिलहनी तथा सब्जी की फसलों में होता है। इन्हें पाले के प्रकोप से बचाने के लिये किसान भाई खेतों में हल्की सिंचाई करें।

साथ ही रात्रि में 12 से 2 बजे के बीच मेड़ों पर कचरे को जलाकर धुआं करें। पाले से बचाव के लिये फसलों पर सल्फर का 0.1 प्रतिशत घोल बनाकर छिड़काव करें। इससे फसलों पर पाला का प्रभाव कम हो जाता है। उप संचालक कृषि ने पौधशाला के पौधों एवं क्षेत्र वाले उद्यानों व नगदी सब्जी वाली फसलों को टाट अथवा पालीथिन अथवा भूसे से ढकने का सुझाव भी दिया है।

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