SHAHDOL न्यायालय ने सुनाई सजा: नाबालिग के दुष्कर्मी को आजीवन कारावास, डीएनए रिपेार्ट के आधार पर हुआ फैसला
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Shahdol MP News: शहडोल में रविवार को उक्त जानकारी देते हुए संभागीय जनसंपर्क अधिकारी अभियोजन नवीन कुमार वर्मा ने बताया कि, द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश संदीप कुमार सोनी (विशेष न्यायालय पॉक्सो अधिनियम) ने साहिल अंसारी (21 वर्ष) पिता नूर मोहम्मद अंसारी निवासी भुण्डी खोली नौरोजाबाद जिला उमरिया को यह सजा दी है।
धारा 3 सहपठित धारा 4(1) पॉक्सो एक्ट एवं धारा 3(2)(v) एससी-एसटी एक्ट में क्रमश: 10 वर्ष कठोर कारावास एवं आजीवन कारावास एवं 1-1 हजार रूपए अर्थदंड से दंडित किया गया है। शासन की ओर से प्रकरण में उपसंचालक अभियोजन एस एल कोष्टा एवं जिला लोक अभियोजन अधिकारी विश्वजीत पटैल के मार्गदर्शन में सुषमा सिंह ठाकुर सहा. जिला लोक अभियोजन अधिकारी ने पैरवी की।
यह रहा पूरा मामला
जानकारी दी गई कि, प्रकरण की गंभीरता को देखते हुये फरियादिया/पीड़िता का अभियोजन को पूर्ण समर्थन नहीं करने के बाद भी न्यायालय ने डीएनए रिपेार्ट के आधार पर आरोपी को दंडित किया है। बताया गया कि, पीड़िता के पिता ने 29 अगस्त 2022 को थाना बुढ़ार में इस आशय का रिपेार्ट लिखाई थी। जिसके अनुसार, उनकी पुत्री सीधी से बुढ़ार अपने मामा के घर राखी त्यौहार मनाने गयी थी। उसकी सास ने उसे 8 अगस्त को फोन पर सूचना दी कि, 3 बजे दोपहर से पीड़िता घर से निकली है और वापस नहीं आई है।
आसपास मोहल्ला में पता तलाश करने पर नहीं मिली है। उक्त सूचना पर थाना बुढ़ार में धारा 363 भादवि के तहत प्रकरण कायम किया जाकर पुलिस विवेचना में जुटी गई। जिसके बाद पीड़िता को 4 सितंबर को थाना नौरोजाबाद अंतर्गत भुण्डी खोली से आरोपी के कब्जे से दस्तायाब किया गया। तब पीड़िता ने पुलिस को बताया कि, आरोपी के कहने एवं शादी करने के बहकावे में आकर उसके साथ उप्र के कानपुर चली गई। जहां होटल में उसके साथ रूकी थी और कई जगह घूमती रही। आरोपी उसे कटनी, इलाहाबाद होते कानपुर ले गया था।
इस दौरान आरापी ने उससे जबरजस्ती कई बार दुष्कर्म किया और यह बोलता रहा कि, जब तू 18 साल की हो जायेगी तो मैं शादी कर लूंगा। विवेचना पूर्ण होने पर अभियोग पत्र न्यायालय में पेश किया गया। न्यायालय ने अभियोजन के प्रस्तुत किये गये दस्तावेजों एवं साक्ष्यों से आरोपी के विरूद्ध लगे आरोपों को प्रमाणित पाये और उपरोक्त दंड से दंडित किया है। इसके साथ ही अभियोजन की ओर से पीड़िता को हुई क्षति के लिये प्रतिकर दिलाये जाने के लिए न्यायालय से निवेदन किया गया। जिस पर न्यायालय ने पीड़िता को प्रतिकर प्रदान किये जाने का आदेश भी पारित किया है।