MP में इन मदरसों के विरुद्ध होगी सख्त कार्रवाई, शिक्षा मंत्री ने दी जानकारी

MP Madarsa News: मध्य प्रदेश स्कूल शिक्षा एवं परिवहन मंत्री उदय प्रताप सिंह (Madhya Pradesh School Education and Transport Minister Uday Pratap Singh) ने जानकारी देते हुए कहा है कि प्रदेश में नियम विरुद्ध संचालित होने वाले मदरसों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जायेगी।
 
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MP Madarsa News: मध्य प्रदेश स्कूल शिक्षा एवं परिवहन मंत्री उदय प्रताप सिंह (Madhya Pradesh School Education and Transport Minister Uday Pratap Singh) ने जानकारी देते हुए कहा है कि प्रदेश में नियम विरुद्ध संचालित होने वाले मदरसों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जायेगी। उन्होंने कहा की इसके लिये एमपी स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों को ऐसे सभी मदरसों, जो मध्यप्रदेश मदरसा बोर्ड से मान्यता प्राप्त हैं, का भौतिक सत्यापन तय समय-सीमा में पूरा किये जाने के निर्देश दिये गये हैं। मंत्री ने कहा कि पूर्व में कराई गई जाँच में प्रदेश में 56 मदरसे भौतिक सत्यापन में नियम विरुद्ध पाये गये थे। इन मदरसों की मान्यता समाप्त करते हुए इनका अनुदान बंद कर दिया गया है।

स्कूल शिक्षा मंत्री ने जानकारी देते हुए कहा की भारतीय संविधान के अनुच्छेद-28 (3) में स्पष्ट उल्लेख है कि किसी भी शैक्षणिक संस्था में पालकों की सहमति के बिना बच्चों को धार्मिक शिक्षा नहीं दी जाये और न ही उन्हें इसके लिये बाध्य किया जाये।  मंत्री सिंह ने बताया  कि प्रदेश में सभी शैक्षणिक संस्थाओं को नई शिक्षा नीति का पालन करना होगा। इसके साथ ही राइट-टू-एजुकेशन का भी पालन करना होगा। जो शैक्षणिक संस्थाएँ नीति के विरुद्ध पाई जायेंगी, उनकी मान्यता समाप्त करने की कार्रवाई सख्ती के साथ की जायेगी।

आयुक्त लोक शिक्षण ने भी जारी किये निर्देश

इसी बीच आयुक्त लोक शिक्षण ने विभागीय अधिकारियों को इस संबंध में आवश्यक निर्देश जारी किये हैं। निर्देश में कहा गया है कि मध्यप्रदेश मदरसा बोर्ड से मान्यता प्राप्त मदरसों का भौतिक सत्यापन कराया जाये। यदि मदरसे नियम विरुद्ध संचालित पाये जायें, तो उनकी मान्यता समाप्त करते हुए अनुदान बंद किया जाये। उन्होंने निर्देश में यह स्पष्ट किया गया है कि किसी शैक्षणिक संस्था में उपस्थित होने वाले किसी व्यक्ति को ऐसी संस्था में दी जाने वाली किसी धार्मिक शिक्षा में भाग लेने और धार्मिक उपासना में उपस्थित होने के लिये तब तक बाध्य नहीं किया जाये, जब तक कि बच्चों के पालकों ने इसके लिये अपनी सहमति न दे दी हो। इस नीति के विरुद्ध संचालित संस्था पर सख्त कार्रवाई की जाये।