पुराने तर्ज पर नए भ्रष्टाचार की स्क्रिप्ट तैयार: सीईओ के संरक्षण में लेखापाल के सगे रिश्तेदार को लाभ पहुंचाने चुपके से खुलेगा ई-टेंडर, मामला शहडोल जिला पंचायत का

80 लाख रुपए से ज्यादा की राशि से ई-रिक्शा खरीदी में गोलमाल। 
 
rewa

विनय शुक्ला (अकेला) शहडोल। जिला पंचायत से भ्रष्टाचार का एक बड़ा मामला निकलकर सामने आया है। मामले में करीब 80 लाख रुपए से अधिक की शासकीय राशि को वारा-न्यारा किए जाने की पूरी तैयारी अपने अंतिम पड़ाव पर है।‌ सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार, इस खेल में साफ तौर जिला पंचायत में पदस्थ सीईओ राजेश जैन और लेखापाल अंशुल जैन की भूमिका संदिग्ध प्रदर्शित है।कहा जा रहा है कि, इन्होंने नियम, निर्देश एवं मापदंड के विपरीत ई-रिक्शा खरीदी की पूरी स्क्रिप्ट लिखी है। इसी के तहत आज बुधवार 13 मार्च को खरीदी की कार्रवाई पूर्ण होने जा रही है।

पंचायत अधिकार का दबाव में हनन

शासन के नियम अनुसार, ई-रिक्शा संबंधित ग्राम पंचायतों को स्वयं किया जाना चाहिए। चूंकि, भुगतान तो ग्राम पंचायतों को ही करना है। बावजूद इसके ग्राम पंचायतों के अधिकार का अधिकारिक दबाव में हनन करते हुए, जिला पंचायत सीईओ के संरक्षण में लेखापाल ने, जनपद पंचायत बुढ़ार कार्यालय की आईडी से ई टेंडर के माध्यम से आवेदन आमंत्रित किए गए। गौरतलब है कि, इस ई-टेंडर में लेखापाल के संगे रिश्तेदार ने हिस्सा लिया है और उसी से ई-रिक्शा क्रय करने की तैयारी मनमुताबिक पूर्णता की ओर है।

यह है ई-रिक्शा के लिए पात्रता

स्वच्छ भारत मिशन अंतर्गत जेम पोर्टल में पंजीकृत सप्लायरों से 3 मार्च को टेंडर बुलाया गया था, जिसे 13 मार्च को खोला जाना तय किया गया। विभागीय जानकारों की मानें तो, नियमानुसार वह ग्राम पंचायत जिनकी आबादी 5 हजार की संख्या से ऊपर है, वहीं ई-रिक्शा क्रय कर सकते हैं। जबकि, वर्तमान में जिन 40 से अधिक पंचायतों का चयन किया गया है, उनमें से एकाध-दो को छोड़कर बाकी पंचायतों की आबादी 5 हजार से नीचे बताई जा रही है। ऐसे में यहां यह भी नियम विपरीत एवं शासकीय राशि को खुर्द-बुर्द किए जाने की ओर साफ तौर पर प्रमाणित करता है। जो जांच का विषय भी है।

चुपके से चहेते का जुगाड़

जानकारी के मुताबिक, इस बड़ी खरीदी को लेकर नियमत: टेंडर या निविदा का प्रकाशन समाचार पत्रों में कराया जाना चाहिए था। तत्पश्चात आगे की प्रक्रिया का पालन होना चाहिए था। लेकिन सूत्र बताते हैं कि, खरीदी की प्रक्रिया में ऐसा कुछ भी नहीं किया गया। मामले में सारा कुछ पर्दे के पीछे से संचालित हुआ। जिसके तहत सीईओ के चहेते और लेखापाल के रिश्तेदार संजय जैन नामक व्यक्ति को लाभ पहुंचाने की कोशिश जारी है।

पुराने तर्ज पर नया भ्रष्टाचार

सूत्रों से मिली जानकारी में यह बात भी सामने आई है कि, वर्तमान में जिला पंचायत शहडोल लेखपाल अंशुल जैन के विरुद्ध जिला पंचयत दमोह में लेखपाल पद पर रहते हुए, फर्जी बिल भुगतान को लेकर तत्कालीन कलेक्टर श्रीनिवास मिश्रा ने जांच कर कर, दोषी पाए जाने पर सेवा समाप्ति का प्रस्ताव राज्य स्तर तक भेजा था। जहां लेन-देन के बाद उक्त कार्रवाई विलोपित कराते हुए लेखपाल ने अपना स्थानांतरण दमोह से शहडोल जिला पंचायत कर लिया। जिसके बाद वह एक बार फिर अपने पुराने तर्ज पर ही भ्रष्टाचार का खेल खेलने आमादा हैं।

हुई जांच तो नपेंगे सभी

इस संपूर्ण मामले में यदि उच्च स्तरीय जांच कराई जाती है। तो निश्चित रूप से दूध का दूध और पानी का पानी सामने होगा। वहीं दोषी पाए जाने पर जनपद पंचायत बुढार के संबंधित जवाबदार अधिकारी से लेकर जिला पंचायत में पदस्थ लेखपाल सहित सीईओ पर कार्रवाई की गाज गिर सकती है। अब देखना यह है कि, मामला सामने आने के बाद इस पर क्या एक्शन लिया जाता है।

Tags