एमपी के इस गांव में किसान ऑर्गनिक खेती कर कमा रहे लाखों, प्रदेश में बनी एक अलग पहचान

 
एमपी के इस गांव में किसान ऑर्गनिक खेती कर कमा रहे लाखों, प्रदेश में बनी एक अलग पहचान

विदिशा के पाली गांव के किसान अब पारंपरिक खेती छोड़ व्यवसायिक खेती करना शुरू कर दिए हैं। वहां के किसान अब अनाज उत्पादन के जगह ऑर्गेनिक खेती कर अश्वगंधा का उत्पादन कर रहे हैं जिससे उन्हें एक बीघा में 30 से 40 हजार की आमदनी बड़ी ही आसानी के साथ हो जा रही है। विदिशा गांव के लगभग 80 प्रतिशत किसान आज अश्वगंधा की खेती कर रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार गांव के लगभग 300 बीघा जमीन पर औषधीय खेती की जा रही है जिससे प्रत्येक किसान लाखों रुपए का लाभार्जन कर रहे हैं।

एक किसान ने मीडिया से बातचीत के दौरान बताया कि 2013 में सीहोर जिले के कृषि महाविद्यालय में प्रशिक्षण शिविर के दौरान उन्होंने "आत्मा परियोजना" के बारे में जानकारी ली और 2014 से अश्वगंधा की खेती शुरू कर दी। शुरुआती के दिनों में उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा लेकिन दिन-प्रतिदिन अश्वगंधा ने उनके किस्मत को बदल कर रख दिया। अश्वगंधा के अलावा वह सफेद मूली,कलौंजी, हल्दी, सर्पगंधा जैसे विभिन्न औषधीय फसलों को भी लगाया लेकिन अश्वगंधा कि कम मेहनत और अधिक लाभ ने उन्हें अपनी तरफ आकर्षित कर लिया।

आज इस गांव के लगभग 80 प्रतिशत किसान अश्वगंधा की खेती कर रहे हैं। अश्वगंधा की खेती विदिशा गांव में लगभग 300 बीघा जमीन में की जा रही है। विदिशा के अंतर्गत आने वाला पाली गांव आज प्रदेश भर में औषधीय फसलों के उत्पादन में अपना एक अलग पहचान बना चुका है। विदिशा जिले के नगरी के पाली गांव के रहने वाले लखनलाल पाठक ने 2014 में अश्वगंधा की खेती करना शुरू किया था जिससे यहां के अन्य किसान भी प्रभावित हुए और वह भी अश्वगंधा की खेती करना शुरू कर दिए।

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