आगरा कॉलेज के प्रोफेसर पर छात्रा ने लगाया यौन उत्पीड़न का आरोप, विश्वविद्यालय प्रशासन ने शुरू की जांच

छात्रा ने आरोप लगाया—रात में फोन कर करते थे अश्लील बातें, संदेश भेजते थे अनुचित मैसेज; POSH समिति करेगी जांच
 
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आगरा (उत्तर प्रदेश): डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय से संबद्ध आगरा कॉलेज में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। कॉलेज की एक छात्रा ने अपने ही विभाग के प्रोफेसर पर यौन उत्पीड़न (Sexual Harassment) का गंभीर आरोप लगाया है। छात्रा ने शिकायत में कहा है कि आरोपी प्रोफेसर लंबे समय से उसे परेशान कर रहा था। वह रात में फोन कर अश्लील बातें करता था, सोशल मीडिया और मैसेज के ज़रिए अनुचित संदेश भेजता था, और कॉलेज परिसर में भी आपत्तिजनक टिप्पणियां करता था।

छात्रा की शिकायत के बाद मचा हड़कंप

छात्रा की लिखित शिकायत मिलते ही कॉलेज प्रशासन में हड़कंप मच गया। छात्रा ने कहा कि शुरुआत में उसने इस व्यवहार को नज़रअंदाज़ किया, लेकिन जब प्रोफेसर की हरकतें बढ़ने लगीं तो उसने अपनी सुरक्षा को लेकर चिंता जताई। शिकायत के अनुसार, प्रोफेसर उसे अकेले मिलने के लिए बुलाता था और मना करने पर धमकी देता था कि उसके आंतरिक मूल्यांकन (internal marks) प्रभावित किए जा सकते हैं।

इस शिकायत के बाद कॉलेज की POSH (Prevention of Sexual Harassment) समिति ने मामले की जांच शुरू कर दी है। समिति में महिला अध्यापक, प्रशासनिक अधिकारी और छात्र प्रतिनिधि शामिल हैं।

विश्वविद्यालय प्रशासन ने लिए सख्त कदम

डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के कुलपति ने घटना पर संज्ञान लेते हुए कहा है कि “शून्य सहनशीलता” (Zero Tolerance) की नीति के तहत यौन उत्पीड़न से जुड़े मामलों में सख्त कार्रवाई की जाएगी।
विश्वविद्यालय प्रवक्ता ने बताया कि कॉलेज प्रशासन को निर्देश दिए गए हैं कि आरोपी प्रोफेसर को जांच पूरी होने तक किसी भी शिक्षण कार्य से दूर रखा जाए। यदि आरोप सही पाए गए तो उसके खिलाफ अनुशासनात्मक और कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

छात्र संगठनों ने की सख्त कार्रवाई की मांग

इस घटना के बाद छात्र संगठनों ने भी मोर्चा खोल दिया है। छात्र संघ और महिला छात्राएं कॉलेज परिसर में धरना देकर आरोपी प्रोफेसर की बर्खास्तगी की मांग कर रही हैं। छात्राओं का कहना है कि कॉलेज प्रशासन को ऐसे मामलों में तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए ताकि अन्य छात्राओं को न्याय मिल सके और भविष्य में कोई प्रोफेसर इस तरह की हरकत करने की हिम्मत न करे।

POSH कानून क्या कहता है?

भारत में कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न को रोकने के लिए “POSH अधिनियम, 2013” लागू है। इस कानून के तहत किसी भी शिक्षण संस्थान में यदि महिला कर्मचारी या छात्रा को उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है, तो संस्थान की आंतरिक समिति (ICC) को शिकायत मिलने के 90 दिनों के भीतर जांच पूरी करनी होती है और रिपोर्ट विश्वविद्यालय प्रशासन को सौंपनी होती है।

छात्रा को मिला साथ

इस बीच कॉलेज की महिला प्रकोष्ठ ने छात्रा को आश्वस्त किया है कि उसे पूर्ण न्याय दिलाया जाएगा और किसी प्रकार का दबाव या भय न रखा जाए। महिला प्रकोष्ठ की संयोजक ने बताया कि जांच प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी रहेगी और यदि आरोप प्रमाणित हुए तो आरोपी को सख्त सजा मिलेगी।

निष्कर्ष:
आगरा कॉलेज का यह मामला एक बार फिर शिक्षा संस्थानों में महिलाओं की सुरक्षा पर सवाल खड़े करता है। यह देखना होगा कि विश्वविद्यालय की POSH समिति और प्रशासन कितनी निष्पक्षता और तेजी से जांच पूरी कर पीड़ित छात्रा को न्याय दिलाते हैं।

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