India Gold Reserve: देश का गोल्ड रिजर्व पहली बार 100 अरब डॉलर पार, 25.5 टन सोने की खरीद से नया रिकॉर्ड

भारतीय रिजर्व बैंक ने बढ़ाया सोने में निवेश, इतिहास में पहली बार 100 अरब डॉलर पार
 
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भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में अब सोने का हिस्सा ऐतिहासिक स्तर पर पहुंच गया है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 2025 में लगभग 25.5 टन सोने की नई खरीद कर देश के गोल्ड रिजर्व को पहली बार 100 अरब डॉलर से अधिक कर दिया है। यह उपलब्धि देश की अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है, क्योंकि यह न केवल रुपये की स्थिरता को मजबूत करती है बल्कि वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता के बीच भारत की वित्तीय सुरक्षा को भी बढ़ाती है।

RBI की गोल्ड होल्डिंग अब 25.5 टन बढ़कर 834 टन के करीब

भारतीय रिजर्व बैंक की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, पिछले वित्त वर्ष में RBI ने 25.5 टन नया सोना खरीदा, जिससे उसका कुल स्वर्ण भंडार अब लगभग 834 टन तक पहुंच गया है। इससे पहले यह आंकड़ा करीब 808 टन था। इस वृद्धि के बाद भारत अब दुनिया के शीर्ष 10 देशों में शामिल हो गया है जिनके पास सबसे ज्यादा गोल्ड रिजर्व है।

RBI ने यह कदम वैश्विक बाजार में डॉलर की मजबूती और क्रूड ऑयल की बढ़ती कीमतों के बीच उठाया है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह सोने में दीर्घकालिक स्थिर निवेश नीति का हिस्सा है, जिससे भारत की विदेशी संपत्ति का विविधीकरण सुनिश्चित हो सके।

100 अरब डॉलर की सीमा पार करने के पीछे की वजहें

भारत के गोल्ड रिजर्व के 100 अरब डॉलर पार करने के पीछे कई अहम कारण हैं:

  1. सोने की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में वृद्धि – हाल के महीनों में गोल्ड की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी हुई है।
  2. डॉलर की अस्थिरता – अमेरिकी अर्थव्यवस्था में ब्याज दरों की नीतियों में बदलाव ने केंद्रीय बैंकों को सोने की ओर झुकाया।
  3. RBI की रणनीतिक खरीद – रिजर्व बैंक ने आर्थिक जोखिमों से बचने के लिए सोने में निवेश को प्राथमिकता दी।

वैश्विक तुलना में भारत का स्थान

वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (WGC) के अनुसार, भारत अब वैश्विक स्तर पर 9वें स्थान पर पहुंच गया है। शीर्ष स्थानों पर अमेरिका, जर्मनी और इटली जैसे देश हैं। अमेरिका के पास सबसे बड़ा गोल्ड रिजर्व है, जो 8,100 टन से अधिक है।

भारत ने पिछले कुछ वर्षों में लगातार सोने की खरीद बढ़ाई है। 2022 में RBI ने 33 टन, 2023 में 18 टन और 2024 में 25 टन सोना खरीदा था। यह दर्शाता है कि RBI धीरे-धीरे विदेशी मुद्रा भंडार में सोने का हिस्सा बढ़ा रहा है।

भारत की अर्थव्यवस्था के लिए क्या है इसका मतलब

गोल्ड रिजर्व बढ़ने का मतलब है कि देश की आर्थिक सुरक्षा मजबूत हुई है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह एक सकारात्मक संकेत माना जाता है क्योंकि यह दिखाता है कि भारत के पास आर्थिक संकट की स्थिति में उपयोग के लिए ठोस संपत्ति उपलब्ध है।

इसके अलावा, बढ़ते गोल्ड रिजर्व से रुपये की स्थिरता, विदेशी निवेशकों के विश्वास और मुद्रास्फीति नियंत्रण में भी मदद मिलती है।

भारत का गोल्ड रिजर्व पहली बार 100 अरब डॉलर पार करना ऐतिहासिक उपलब्धि है। यह न केवल भारतीय रिजर्व बैंक की रणनीतिक नीति की सफलता को दर्शाता है बल्कि आने वाले समय में भारत की आर्थिक ताकत का भी प्रमाण है। वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच भारत का यह कदम एक सुरक्षित और दूरदर्शी आर्थिक निर्णय साबित हो सकता है।

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