ऑर्गेनिक खेती बन रही किसानों की कमाई का नया जरिया, सेहत और पर्यावरण को भी मिल रहा फायदा

भारत में ऑर्गेनिक खेती तेजी से लोकप्रिय हो रही है। जानें जैविक खेती के फायदे, सरकारी योजनाएं, चुनौतियां और किसानों की बढ़ती आय की पूरी जानकारी।

 
ऑर्गेनिक खेती भारत,

भारत में पिछले कुछ वर्षों में ऑर्गेनिक खेती (Organic Farming) को लेकर जागरूकता तेजी से बढ़ी है। बदलती जीवनशैली, बढ़ती बीमारियों और केमिकल युक्त भोजन से हो रहे नुकसान ने लोगों को प्राकृतिक और शुद्ध खाद्य पदार्थों की ओर आकर्षित किया है। यही वजह है कि आज ऑर्गेनिक खेती न केवल किसानों के लिए आय का नया जरिया बन रही है, बल्कि उपभोक्ताओं के लिए भी सेहतमंद विकल्प साबित हो रही है।

क्या है ऑर्गेनिक खेती?
ऑर्गेनिक खेती वह कृषि पद्धति है, जिसमें रासायनिक खाद, कीटनाशक और हार्मोन का उपयोग नहीं किया जाता। इसके बजाय गोबर खाद, वर्मी कम्पोस्ट, हरी खाद, जैविक कीटनाशक और प्राकृतिक संसाधनों का इस्तेमाल किया जाता है। इस पद्धति से उगाई गई फसलें पर्यावरण के अनुकूल होती हैं और मिट्टी की उर्वरता को लंबे समय तक बनाए रखती हैं।
क्यों बढ़ रही है ऑर्गेनिक उत्पादों की मांग?
आज के समय में लोग अपनी सेहत को लेकर पहले से कहीं ज्यादा सतर्क हो गए हैं। केमिकल युक्त सब्जियों और अनाज से कैंसर, डायबिटीज, हार्ट डिजीज जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ता जा रहा है। ऐसे में ऑर्गेनिक फल, सब्जियां, दालें और अनाज सुरक्षित विकल्प बनकर सामने आए हैं।
शहरों में रहने वाले लोग अब ऑर्गेनिक स्टोर, ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और फार्म-टू-होम मॉडल के जरिए जैविक उत्पाद खरीद रहे हैं। यही कारण है कि ऑर्गेनिक उत्पादों की कीमत सामान्य उत्पादों की तुलना में अधिक होने के बावजूद इनकी मांग लगातार बढ़ रही है।
किसानों के लिए कैसे फायदेमंद है ऑर्गेनिक खेती?
ऑर्गेनिक खेती किसानों के लिए कई मायनों में लाभकारी साबित हो रही है।
लागत में कमी – रासायनिक खाद और कीटनाशकों पर होने वाला खर्च कम हो जाता है।
बेहतर कीमत – ऑर्गेनिक उत्पादों को बाजार में प्रीमियम दाम मिलते हैं।
मिट्टी की सेहत में सुधार – लंबे समय तक खेती करने पर जमीन बंजर नहीं होती।
सरकारी योजनाओं का लाभ – केंद्र और राज्य सरकारें ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने के लिए सब्सिडी और ट्रेनिंग दे रही हैं।
कई किसान अब पारंपरिक खेती छोड़कर पूरी तरह ऑर्गेनिक मॉडल अपना रहे हैं और सालाना लाखों रुपये की कमाई कर रहे हैं।
सरकार की पहल और योजनाएं
भारत सरकार भी ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। परंपरागत कृषि विकास योजना (PKVY), मिशन ऑर्गेनिक वैल्यू चेन डेवलपमेंट (MOVCDNER) और नेशनल मिशन ऑन सस्टेनेबल एग्रीकल्चर जैसी योजनाएं किसानों को आर्थिक और तकनीकी सहायता प्रदान कर रही हैं।
इसके अलावा कई राज्य सरकारें ऑर्गेनिक सर्टिफिकेशन की प्रक्रिया को आसान बना रही हैं, ताकि किसान अपने उत्पादों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में बेच सकें।
ऑर्गेनिक खेती से जुड़ी चुनौतियां
हालांकि ऑर्गेनिक खेती के फायदे बहुत हैं, लेकिन इसके सामने कुछ चुनौतियां भी मौजूद हैं।
शुरुआती वर्षों में फसल की पैदावार कम हो सकती है
सर्टिफिकेशन की प्रक्रिया समय लेने वाली होती है
बाजार और सही खरीदार तक पहुंच हर किसान के लिए आसान नहीं
किसानों को तकनीकी जानकारी और ट्रेनिंग की जरूरत
इन चुनौतियों के बावजूद सही मार्गदर्शन और सरकारी सहयोग से ऑर्गेनिक खेती एक सफल मॉडल बन सकती है।
युवा भी दिखा रहे हैं रुचि
खास बात यह है कि अब युवा वर्ग भी ऑर्गेनिक खेती की ओर आकर्षित हो रहा है। पढ़े-लिखे युवा स्टार्टअप मॉडल के तहत ऑर्गेनिक फार्मिंग, ऑर्गेनिक ब्रांड और डायरेक्ट कस्टमर सेलिंग पर काम कर रहे हैं। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर भी पैदा हो रहे हैं।
भविष्य में क्या है संभावना?
विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले वर्षों में ऑर्गेनिक उत्पादों का बाजार कई गुना बढ़ सकता है। भारत जैसे कृषि प्रधान देश में अगर सही रणनीति अपनाई जाए, तो ऑर्गेनिक खेती न केवल किसानों की आय दोगुनी कर सकती है, बल्कि देश की खाद्य सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण में भी अहम भूमिका निभा सकती है।

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